रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
शनिवार, जनवरी 29, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन 'नारी रचनाकार प्रशस्ति कार्यक्रम' में नारी रचनाकार शख्सियतों की प्रतिभा को किया गया नमन।
शुक्रवार, जनवरी 28, 2022
🏆 नयन 🏆
विचित्र बड़ा इसका चयन है
समझो ! हर भाव दर्शाते नयन है
कभी शून्य भाव से निहारते नयन
कभी हँसमुख झलक दिखाते नयन है
कभी सावन से बरसते नयन है
कभी नयन से अंगार दहकते है
आशा पर नयन आस लगाते है
निराशा हो तो नयन छलकते है
विचित्र बड़ा इसका चयन है
समझो ! हर भाव दर्शाते नयन है
कभी रोते नयन
कभी हँसते नयन है
हृदय भरे घाव को
कभी देखते नयन है
आँसू से भीगें-भीगें नयन
जीना सीखाते है
लाज से सिमटते नयन
अपने विशेष भाव दिखाते हैं
नयन से नयन जब मिले
दिल की बात लगे सच
नयन से नयन दिल की
प्रेम कहानी पढ़ लेते हैं
विचित्र बड़ा इसका चयन है
समझो ! हर भाव दर्शाते नयन है
बेटी जब ससुराल से आती
माँ के नयन हाल-ए-दिल समझते
माँ के नयन से कुछ छिपा नही रहता
यह एक व्यक्ति नही बल्कि सब जग कहता
विचित्र बड़ा इसका चयन है
समझो ! हर भाव दर्शाते नयन है
जब भूख से पेट जलता
दिन-रात नयन व्याकुल रहते
जब बच्चे को दूध नही मिलता
माँ की ममता अश्रुधारा बन
नयनों से बहती है
विचित्र बड़ा इसका चयन है
समझो ! हर भाव दर्शाते नयन है
आराधना कर भगवान की
अपने आराध्यों के दर्शनों की
उम्मीद पर नयन टिके रहते हैं
नयन जब हद से ज्यादा थक जाते हैं
तब गहरी निद्रा स्वप्न में वह ढल जाते हैं
विचित्र बड़ा इसका चयन है
समझो ! हर भाव दर्शाते नयन है
✍️ अर्चना वर्मा ( क्यूबेक, कनाडा )
🏆 समाज का गौरव बेटियां 🏆
🏆 रात का ख्वाब 🏆
रात के ख्वाब में
मौन के जवाब में
मैं छज्जे पे आई
अरमां संग ले आई
रात यूँ ही चलने दे
आस यूँ ही पलने दे
राज़ मन के खोल लूँ
मुख से कुछ तो बोल लूँ
तारे नभ में टहल रहे
जज्बे दिल में महक रहे
खुमार अभी बाक़ी है
सामने खड़ा साकी है
कहे तो इक बूँद पी लूँ
कुछ पल मैं भी जी लूँ
नक़ाब चेहरे से हटाऊँ
नगमे प्यारे से सुनाऊं
आगोश में मुझे समाने दे
जुगनू सा मुझे जगमगाने दे
रात के ख्वाब में,
मौन के जवाब
मन हंसा भी मन रोया भी
मैंने पाया भी मैंने खोया भी
सुख दुख सब मैंने सहे
निर्झर अश्रु तब बहे
मिले मुझे वो गम
जाने कब होंगे कम
शब्द, स्पर्श, रस, रूप, गंध
तपस्या करते रहे भंग
'शिव रूप है जगत
रूप बदले शत शत’
सुहानी इक भोर आने दे
बंद आँख अब खुल जाने दे
रात के ख्वाब में,
मौन के जवाब
ख्वाब की ताबीर क्या
मुक़द्दर से हासिल क्या
वक़्त की रफ्तार से चल
सुबह के इंतज़ार में पल
पाप पुण्य आजकल
परे इनके मिलेगा हल
अनंत की आवाज़ सुनूँ
बंदगी का अंदाज़ गुनूँ
सागर की एक लहर बनूँ
झर-झर झरने सी झरूँ
पहुंचूँ मैं अनंत तक
फैलूँ दिग्दिगंत तक
रात के ख्वाब में,
मौन के जवाब
✍️ डॉ. इन्दु अग्रवाल ( देहरादून, उत्तराखंड )
🏆 हल्ला बोल 🏆
🏆 प्रकृति के अनूठे नज़ारे 🏆
खिलखिलाई सूरजमुखी,
पुलकित हुई धरा।
सूरज ने दौड़ाए घोड़े,
रश्मियों ने नयन खोले,
डालियों पर झूला झूले,
परिंदों के श्वेत जोड़े।
वृक्षों की ठंडी छांव में,
सुस्ताए थके-हारे राही
सूर्य को माथे पर देख,
साथ छोड़ गई परछाई।
रंग बदलती दुनिया में,
सूरज भी निकला बेवफ़ा,
रोशनी के ख़्वाब सजा,
दरख्तों के पीछे जा छुपा।
निशा ने ली अंगड़ाई,
लहरों ने बजाई शहनाई,
हवाओं ने लहराया आंचल,
प्राची ने उंडेला गुलाल।
हिमशिखरों को चूम चला,
श्वेत बादलों का जत्था,
शिव के विराट स्वरुप समक्ष,
विनीत जगत का मत्था।
🏆 दिल और दिमाग की तकरार 🏆
गुरुवार, जनवरी 27, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन गणतंत्र दिवस साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
बुधवार, जनवरी 26, 2022
🇮🇳 हमारा गणतंत्र 🇮🇳
लहर-लहर कर लहराएगा
भारत माँ के मस्तक ऊपर
झूम-झूम सदा इतराएगा
झंडे का मान बढ़ाया
जन-जन ने जब इसे फहराया
26 जनवरी को मिलकर हमने
गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया
भारत पूरी दुनिया पर छाया
क्या करना क्या नही है करना
संविधान ने हमको बतलाया
हम सब भारत वासियों का
संविधान से है गहरा नाता
उन्नति का आधार इसी में
ऊँच-नीच का यह भेदभाव मिटाता
नियम-कानून का पाठ पढ़ाता
अपनी आवाज़ उठानी है कैसे
इस बात से सबको परिचित कराता
इसलिए सारी दुनिया पर है छाया
सरपंच से मंत्री तक के
काम करने के तरीके को बतलाया
जिसने है संविधान पढ़ा
शक्तिवान बना वह और बना बड़ा
सीखो अधिकारों से जुड़ना
अपने कर्तव्यों को पहचानना
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
🇮🇳 भारत माँ की संतान हैं हम 🇮🇳
आओ हम गर्व से कहते है
भारत माँ की संतान है हम
हे माँ भारती आपके चरणों में
हमारा कोटि-कोटि प्रणाम
हे माँ भारती धन्य है हम
जो आज मि
हम भारत माँ की संतानों
गणतंत्र दिवस मनाने का
सभी भारत माँ की संतान
एक साथ मि
हाथों में पवित्र तिरंगा थामें
खुशियों संग लह
हम संतानों की अभि
तिरंगा ऊँचा रहें सदा
कभी हवाओं में झूमता
खु
कभी अठखेलियाँ करता दिखता तिरंगा
रहे शिखर पर देश हमारा
दिल में है यही अभिलाषा
देश निर्माण लक्ष्य में
हर इंसान आगे बढ़ता है
जब देश को मिलती सफलता
तब हम जी
कितनों ने मातृभूमि के लिए
सीने
हम है नसीब वाले
मोहब्बत से भरा
हमा
आओ शीश झुकाकर
करते है सलाम वीर जवानों को
जो अपना लहू बहाकर
रक्षा करते हैं
आसमाँ में सितारों के बीच
बुलं
दे
चलो साथ मिल कर गणतं
हे माँ भारती स्वीकारो हम संता
गणतंत्र दिवस पर सबको हार्दिक शुभका
✍️ अर्चना वर्मा ( क्यूबेक, कनाडा )
🇮🇳 शुभवेला है आयी 🇮🇳
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...