रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
सोमवार, फ़रवरी 28, 2022
📖 पतिदेव का ज्ञान 📖
शनिवार, फ़रवरी 26, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन वक्त सशक्त साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार 'पुनीत साहित्य सुधा' सम्मान से सम्मानित।
शुक्रवार, फ़रवरी 25, 2022
⏲️ वक्त का महत्व ⏲️
गुरुवार, फ़रवरी 24, 2022
⏲️ वक्त पर नही अपनी पकड़ ⏲️
बिगड़े न जिंदगी की लय।
कल की क्यों मनवा फिक्र ?
आज का हो सिर्फ जिक्र।
अनमोल, अद्वितीय हर पल,
जिंदगी बना दो सफल।
लक्ष्य का सदा रहे ध्यास,
कामयाबी की जिंदा रहे प्यास।
मनुज जन्म हैं बहुमूल्य,
बनाओ उसे अमृत तुल्य।
जीवन में पूनम हो या अमावस,
कुंदन सा हो जीवन का कस।
पल-पल महके जीवन उपवन,
नवरंगों से सजेगा जीवन।
सायों की गिरफ्त में हो कानन,
या रश्मियों सजा-धजा गगन।
अनुभव की भट्टी में तपेगा यौवन,
फौलाद सा निखरेगा जीवन।
वक्त पर है नही अपनी पकड़,
रख लो उम्मीदों से जकड़।
कौन पल आएगा बुलावा,
वक्त ठहर कर करेगा छलावा।
बिखर जाएगी उम्मीदों की बस्ती,
जिंदगी न बन जाए सस्ती।
लूट लो जी-जान से मस्ती,
फिर भले ही मिट जाए पल में हस्ती।
⏲️ बीते पल ⏲️
⏲️ वक्त का पहिया ⏲️
⏲️ ऐ वक्त ⏲️
ऐ वक्त, तुझसे बस
इतनी सी मेरी गुज़ारिश है ....
ग़म के पलों में भी
उतनी ही देर ठहरना
अगले पलों में खुशियों को
जी भर महसूस कर सकें....
वक्त लगता है
रिश्तों को समझकर
साथ-साथ रहकर
साथ निभाने में.....
कहीं वक्त लगता है
दूरियों को नज़दीकियों
और नज़दीकियों को
दूरियों में बदलने में....
ख़बर है वक्त के पहले
कुछ नहीं मिलता है
और वक्त के गुज़रते ही
दोबारा कुछ नही बदलता है...
लम्हा-लम्हा जुड़कर भी
दो पल कही ठहरता नहीं
टूटते जुड़ते लहरों से उफ़नते
वक्त यहीं से गुज़रता है...
✍️ चंचलिका शर्मा ( वडोदरा, गुजरात )
⏲️ वक्त कभी मिला नही ⏲️
⏲️ लम्हों की सौगात जिंदगी ⏲️
लम्हों की सौगात है ये जिंदगी,
मंगलवार, फ़रवरी 22, 2022
⏲️ समय का खेल ⏲️
चारों ओर कैसी हवा, कैसा दृश्य है
आज समय से पहले सब व्यस्क है
समय का पहिया जब चले
किस ओर, किस दिशा चले
काल चक्र में फंसकर सृष्टि
प्रहार झेलती कितने कुदृष्टि
संतुलन बनाना सच आवश्यक है
आज समय से पहले सब व्यस्क है
दिन रात मेहनतकश जो लोग
कितने आघात इन्हें कितने रोग
जीवन दोपहर भी ढ़ली बेकार
कर रहे बैठ सुबह का इंतजार
हर किसी को कहाँ सब मयस्सर है
आज समय से पहले सब व्यस्क हैं
जीवन संध्या के काल पहर में
सब कुछ घूम रहा जब ज़हन में
शाम धुंधली के राही ठहर जा
इस पल में बस जीवन जी जा
जीवन उसी का जो ख़ुद सक्षम है
आज समय से पहले सब व्यस्क है
हर पहर, हर घड़ी किसका इंतजार
ये इंतजार ही तो प्रिय मौत समान
यूँ जीवन खाली समाप्त ना करना
जब आएगी कयामत तभी मरना
बुरे क्षण भले क्षणिक पर भक्षक हैं
आज समय से पहले सब व्यस्क है
कोई क्षण नही कि सूकून मिला
जो मिला उससे अधिक है दिया
क्या शिकायत और कैसा गिला
सुनने वाला कभी कोई न मिला
लम्हों की सौगात बड़ी अनमयस्क है
आज समय से पहले सब व्यस्क है
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
⏲️ वक्त हो अपना ⏲️
वक्त कभी अपना,
कभी बेगाना-सा,
वक्त के संग मिला दो अपना सुर, लय, ताल,
जीवन संगीत सुरमई सरगम सा हो जाएगा।
वक्त के संग मुस्कुराना,
वक्त पर वक्त की परवाह करना,
गम दर्द में भी खिलखिलाकर हंसना सीखाएगा,
वक्त मेहरबान होगा तो जीना आसान हो जाएगा।
खुशी की शीतल छांव वक्त कभी,
गम की झुलसाती तेज धूप कभी,
जैसा वक्त होगा, अपने आपको जो ढाल देगा,
जीवन सफल, सार्थक उसी का हो जाएगा।
वक्त की नजाकत जो जान लेगा,
वक्त बर्बाद न कर आगे बढ़ेगा,
वक्त की धारा को अपने हौसले से जो मोड़ देगा,
जग में जगमग प्रकाश ज्योत सा जगमगायेगा।
वक्त के साथ संभलकर चलो,
अपना मिजाज बदल आगे बढ़ो,
जिंदगी की जंग मानो सुहास, जीत ली उसने,
विजयपथ-सी जीने की राह खोज ली उसने।
वक्त पर काम आए, वह अपना,
वक्त अपना शुभ भाव ले आये,
वक्त न थमेगा, न रुकेगा, राही, साथ चलना हैं,
जीवन बहार की मुस्कुराहट का यह तराना हैं।
✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )
⏲️ वक्त ⏲️
रविवार, फ़रवरी 20, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्वप्न सुनहरे साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार 'पुनीत उत्कृष्ट रचनाकार' सम्मान से सम्मानित।
शुक्रवार, फ़रवरी 18, 2022
🦜ख़्वाब सुनहरे🦜
🦜ख़्याल🦜
🦜सपनों की दुनिया🦜
🦜स्वप्न सुनहरे मीत मेरे🦜
🦜काश ! तुम हकीकत होते🦜
🦜सपने हैं खास🦜
जो सपने दिल के करीब होते हैं
हमको वो सपने सोने कहां देते हैं
एक जूनून जिंदगी में वो भरते हैं
राही को मंजिल तक ले जाते हैं
सपने जो अक्सर खास होते हैं
जिंदगी के वो मायने बदल देते हैं
असम्भव को सम्भव कर जाते हैं
वो आशाओं के प्रखर पुंज होते हैं
वो आँधी-तूफाँ से कहाँ घबराते हैं
साहिल को किनारे तक पहुँचाते हैं
आसमां की सैर सपने ही कराते हैं
मुश्किल हालात में प्रेरणा दे जाते हैं
नव ऊर्जा को गर्भ में समेटे रहते हैं
खूबसूरत जिंदगी का उपहार देते हैं
ख्वाहिशों के सागर में ही मिलते हैं
अनमोल रत्न जिंदगी में जो होते हैैं
पतझड़ में भी बसंत बहार ला देते हैं
मन में वो खुशियां अपार भर देते हैं
✍️ अनुराधा प्रियदर्शिनी ( प्रयागराज, उत्तर प्रदेश )
🦜ख़्वाब नही जीना है🦜
दे दो जो देना है,
कहां मुझे सपनों को,
अब संजोना है।
बस सांसें चलती है,
उठना और सोना है,
अब कहां ख्वाबों के,
मुझे हिलोरे लेना है।
साथ कहां कोई देता है
सब को छोड़ जाना हैं,
बोलो सपने क्यों देखूं,
जो बिखर ही जाना है।
जब जीवन भर बिखरे,
तारों को ही बिनना है,
तो बेशक सौ बार गिरकर,
उठना केवल सपना है।
डर से सांसो को,
रोज सिहर जाना है,
तो सुनहरे सपनों को,
नींद में क्यों आना है।
हासिल नहीं करना कुछ,
बस खोते ही जाना है,
नींद भी आंखों से डरती है,
जाने कब बह जाना है।
क्या करना है जीवन का,
ख़्वाब कहां जीना है,
मुश्किल से तो छूटा है,
अब बस मुझको पीना है।
✍️ मंजू शर्मा ( सूरत, गुजरात )
गुरुवार, फ़रवरी 17, 2022
🦜चिरैया 🦜
🦜मेरे सपने🦜
🦜सपने शीघ्र हैं सच होने वाले🦜
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...