गुरुवार, जून 30, 2022

🏆 महत्वपूर्ण चाँद 🏆








रात के अंधेरे में 
मुस्काता चाँद 
रोशनी देता है 
अनजानी राहों को 
सराबोर करता 
अपनी चाँदनी से 

बिछड़े हुए प्रेमी युगल
जो चकोर की भांति 
चाँद को तकते हैं
आसरा देता है वह उन्हें
उनका डाकिया बन जाता है
उनका प्रेम का पैगाम 
एक दूसरे को पहुंचाता है 
कभी-कभी महबूब का
आइना भी बन जाता है 

छोटे बच्चों के लिए 
वह मामा के जैसा है 
हर बहन अपने भाई की
तुलना चाँद से करती है 
चाँद में अपने 
भाई को तकती है 
कितना महत्वपूर्ण है 
चाँद हमारे लिए
रोशनी है, प्रेम है 
और रिश्ते भी

✍️ प्राप्ति सिंह ( हैदराबाद, तेलंगाना )

🏆 मनभावन है पेड़ की छांव 🏆







मनभावन  है  पेड़  की  छांव
खुशियों  का  है  यह  हरियाली  गाँव
जीवन  इसमें  रमा  रमा  है
इसमें  माँ  के  आँचल  जैसा  आराम  
इसमें  जीवन  है  मधुकर  मधुकर 
इसकी  हर  शाखा  बहुत  खास  है  
यह  जीवन  का  आधार  है 
इसलिए  इससे  विशेष  प्यार  है
पेड़  की  ऊंची  ऊंची  टहनियां
सपनों  की  सेज  बनी
इसके  पत्तों  की  हरियाली 
हमको  है  जीवन  देने  वाली  

✍️ डॉ. उमा सिंह बघेल ( रीवा, मध्य प्रदेश )

बुधवार, जून 29, 2022

🏆 पिता छांव है 🏆






कड़ी धूप में पिता आराम दायक छांव हैं
पिता मेलों में कंधे ले चलने वाले पांव हैं

हर खुशी मिले पिता के लाड चाव है
कभी उल्टा नहीं पड़े पिता का दांव है

आशीष पिता के अखंड़नीय सत्य है
उनके आशीष सी सम्पत्ति ना अन्यत्र है

उनकी पनाहों में गुजर गया जो पल है
इतना फलदायी ना कोई और शजर है

माँ बाप के सम्मान से भगवान खुश
इनके प्यार से ही बनते काबिल सब

सारी उम्र इमानदारी ना धन लोलुप बने
कुनबा सब छत्र छाया में फलता फले

पिता की सीख बस मजबूत बनो बेटा
बाप रहम खाता है पर ना खाती दुनिया

पिता के लिए घर जैसे बन जाता तपोवन
रोम रोम से पसीना बहाता पिता तन

✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )

🏆 आज का दौर फैशन का 🏆







जहां-जहां  देखो  फैशन  ही  फैशन  है  
हर  परिवार  में  इसी  का  क्रेज  है  
हर  पखवाड़े  में  इसी  में  मौज  है  
जीवन  सबका  रमा  इसी  में  
सबके  सपने  सजे  इसी  में  
कोई  ना  इसके  बिना  जीता  
जो  रहता  इसके  बिना  
उसका  होता  माखौल  है  
इस  फैशन  में  भी  होता  नाप-तोल  है  
कौन  नया  और  कौन  पुराना  
इसका   काम   इंसान  को  निखारना 
एक  से  बढ़कर  एक  का  ज़माना  
इसमें  है  सबको  आगे  बढ़ते  जाना 

✍️ डॉ. उमा सिंह बघेल ( रीवा, मध्य प्रदेश )


🏆 छूत की बीमारी सी होती मुस्कुराहट 🏆







मुस्कुराहट एक 
छूत की बीमारी सी होती है 
जैसे कोई महामारी 
एक दूसरे को देखते ही फैलती है
कितने भी दुखी हों 
परेशान हों, बीमार हों 
कोई जब मुस्कुरा के देखता है 
हम अनजाने में 
ना चाहते हुए भी 
मुस्कुरा देते हैं 
हमारी मुस्कान से 
कोई और मुस्कुरा देता है 
मेरे होंठो की छोटी सी मुस्कान 
दुनिया का सफर तय करके 
मेरे पास वापस आ जाती है 
कभी कभी दिन में कई बार 
जैसे हों उसके पंख हजार 
अजनबी राहों में यूं ही 
कभी या अक्सर 
किसी को देख के 
मुस्कुरा जरूर देना 
क्या जाने किसको 
इस मीठी मुस्कुराहट 
की जरूरत हो 
 
✍️ प्राप्ति सिंह ( हैदराबाद, तेलंगाना )

मंगलवार, जून 28, 2022

🏆 प्रेम का सार्थक रूप है विवाह 🏆







प्रेम  का  सार्थक  रूप  है  विवाह  
विवाह  बिना  कोई  प्रेम  पवित्र  नही
पवित्रता  के  बिना  प्रेम  कभी  सत्य  नही
जागृत  आँखों  से  प्रेम  दिव्य  ज्योति  है 
विवाह  के  बिना ना  इसका  कोई  श्रृंगार 
मान  देता  जग  में  ये  बंधन  
ना  होता  इसके  बिना  कोई  अर्पण  
जीता  जागता  सपना  बना  ये  
होता  आँखों  से  ना  ये  ओझल  
प्यार  का  ये  प्यारा  बंधन  है  यह
जीने  का  अवसर  है  यह 
आशाओं  का  नेक  सफर है  यह
रिश्तों  का बेहतरीन प्रबंध  है  यह 
सम्मान  से  है  ये  बंधन  न्यारा  
होता  सबका  इसमें  जीवन  है  प्यारा  
लाख  सपनों  की  है  ये  सेज  मखमली
प्रीतम  के  अधरों  की  सहेली
ये  बंधन  है  ईश्वर  का  वरदान  
इसमें  है  सबका  जीवन  अभिमान
इसके  बिना ना  है  कोई  रिश्ते  का  सम्मान  
ये  विवाह  है  ईश्वर  का  वरदान  

✍️ डॉ. उमा सिंह बघेल ( रीवा, मध्य प्रदेश )

🏆 झुर्रियां बुढ़ापे की 🏆







ना दस्तक दी, ना आवाज ही
कब आ गयी झुर्रियां बुढ़ापे की

बिन खटखटाहट खोल के दर
बुढ़ापा आन खड़ा दरवाजे पर

आ ही गये हो बैठ जाओ भाई
अभी जरा बालों को रंग के आई

माना अब मेरे शरीर पे तू बसा
ढीलमढाला हुआ न रहा कसा

लाख छिपा छिपा ना पाओगी
मैं बुढ़ापा ऐनक न लगाओगी

बिन ऐनक कैसे देख पाओगी
एक अक्षर नहीं लिख पाओगी

जवानी हंस बोली यह घर मेरा
बुढ़ापा भी समझा के कह रहा

सखी ! ना घर तेरा ना घर मेरा
यह तो आवागमन का ही फेरा

✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )

🏆 जीवन में बदलाव है शादी 🏆








एक हसीन ख्वाब हैं शादी 
जीवन में बदलाव है शादी
कहते हैं कि....
यहां से खुशियों की
सौगात शुरू होती है
उम्मीद है, तुम मेरा साथ निभाओगे 
दुनिया में मुझे सम्मान दिलाओगे
सब खुश हैं
तुम्हारे और मेरे परिवार वाले 
लेकिन 
तूफान उमड़ रहा 
मेरे भीतर 
तुम्हारा कुछ नही छूटेगा
ना मां ना पिता 
ना भाई ना बहन 
ना संगी न साथी 
ना नौकरी ना आदतें 
मेरी तो दुनिया ही बदल जायेगी 
अब से चंद घंटों में 
सवेरे की चाय जो पापा बनाते थे 
कब नसीब होगी पता नही
तुम जब अपने भाई बहनों से लड़ोगे 
मैं कोई प्रतिक्रिया नही दे पाऊंगी 
मायके की चुहल याद करके
कुछ आंसू ढलक आयेंगे 
घूंघट में ही उन्हें पी जाऊंगी
तुम्हारे दोस्त छेड़ेंगे मुझे 
पर पहले की तरह 
आत्मरक्षा में उनका मुंह नही तोड़ पाऊंगी 
अपनी इच्छाओं पसंद ना पसंद 
अपने आराम अपने सुकून को 
मायके में छोड़ आऊंगी 
कोशिश करूंगी एक अच्छी बहू कहलाऊंगी 
तुम्हारा तो कुछ नही बदल रहा 
मैं अपनी पहचान पीछे छोड़ आऊंगी

✍️ प्राप्ति सिंह ( हैदराबाद, तेलंगाना )

🏆 असली फैशन 🏆









जब हम भारतीय परिधानों में ही
आत्मविश्वास से चलते हैं
जब हम औरों को देख-देख 
किसी जलन में नही जलते हैं
जब हम अपने बुजुर्गों को
नमन करते हुए जगते हैं
जब हम ग्रंथों का सार पढ़ 
जीवन में पालन करते हैं
जब भी हम सबकी ख़ातिर
सम्मान की भावना रखते हैं

जब हम मन का अहमघमण्ड

जब हम मन को सात्विक कर

स्वाभिमान से आगे बढ़ते हैं

जब हम अपनी ठेठ भाषा को 

बोलने से नही हिचकते हैं

जब हम साड़ीसलवार-कमीज में

इठलाकर के चलते हैं

जब हम धोती-कुर्ते में भी

पूरे अभिमान से भरते हैं

जब हम माथे के बिंदीतिलक को

सम्मान से धारण करते हैं

तब छा जाती है चहुं ओर रौनक 

यही तो असली फैशन है हमारा 

क्यों हम पाश्चात्य के पीछे दौड़ते हैं


✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

🏆 प्रभु का बसेरा 🏆








 बच्चों की मुस्कान में
 नारी के सम्मान में
 गीता के ज्ञान में
 प्रभु बसते हो तुम
 
 दीए की ज्योति में
 मंदिर की मूर्ति में
 माला के मोती में
 प्रभु बसते हो तुम

 भक्तों के कीर्तन में
 गोपियों के नर्तन में
 गोकुल के माखन में
 प्रभु बसते हो तुम

 फूलों की डाली में
 सूरज की लाली में
 भोजन की थाली में
 प्रभु बसते हो तुम

 भौरों के गुनगुन में
 राधा की रुनझुन में
 धरती के कण-कण में
 प्रभु बसते हो तुम

✍️ संध्या शर्मा ( पटना, बिहार )

सोमवार, जून 27, 2022

🏆 पेड़ो की अहमियत 🏆









देख सूखी धरा सूखे खेत-खलिहान
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान

धरती का श्रृंगार पेड़ ही
जीवन का आधार पेड़ ही
सूखी धरती करती कल्पना
काले बादल काढ़े अल्पना

बारिश का मौसम धरा को वरदान
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान

जब बारिश की बूंदे गिरती
सूखी धरा महक से उठती
अकाल कभी ना सहे धरा
बिन अनाज तो मानव मरा

सोने सी धरती पर बरसो आन
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान

बारिश की कीमत अनमोल
इसके तो कीचड़ का भी मोल
पेड़ो की अहमियत समझे हम
सूखी धरा की पुकार सुने हम

सूखे सारे सपने टूटे सब अरमान
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान

✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )

🏆 ये मुस्कुराहट सुकून देती है 🏆







सच  में  तुम  कितनी  साकार  हो  ...
हर  वक़्त  एक  मुस्कुराती  तस्वीर  हो  ...
बातों  से  गूँजती  धुन  हो  ...
पहलू  में  सिमटी  न्यारी  तकदीर  हो...
आँखों  से  बोलती  गीत  हो...
हर  बातों  में  मासूम  पहेली  हो  ....
हर  मुलाकातों  में  कुदरत  की  भेजी   तासीर  हो...
मेरी  तुम  अपनी  हाथ  की लिखी  शायरी  हो...
तुम  जीती  जागती  मेरी  नज्म  हो..
ये  मुस्कुराहट  मुझे  सुकून  देती  है  ...
मेरी  तकदीर  में  सुनहरी  रंगत  जो  भरती ...
तुम्हारी  इस  मुस्कान  से .......
मेरी  मासूमियत  जो  उभरती‌‌  है  ....।।

✍️ डॉ. उमा सिंह बघेल ( रीवा, मध्य प्रदेश )

🏆 गृहिणी औरत 🏆








वो बेचारी सी औरत जो तड़के उठ के 
सबके लिए चक्करघिन्नी बन जाती है 
आम तौर पर घरों में गृहिणी कहलाती है 

वो जिस घर में रहती है 
वहां उसके नाम की नेमप्लेट भी नही होती 
मदद के लिए एक मेड लगा दी जाती है 
और सबकी उम्मीद होती है 
कि वो ढाबे के जैसा स्वाद लिए 
मास्टर शेफ जैसा खाना हर दिन बनाए 

जिसको चंद पैसे दे कर 
ज़रा-ज़रा सी बात पे हिसाब मांगा जाता है 
जब खुद पैसे खर्च करने कभी पड़ी जाएं 
बचपन में लगाया गणित याद आ जाता है 

कभी कोई पूछता नही कि
क्या है तुम्हारी पसंद 
क्या है कुछ तुमको भी नापसंद 
पति बच्चे ससुराल वाले
सबकी पसंद का ध्यान है 
भूल के, कि वो भी एक इंसान है

पति के लिए इच्छा बदली
सास के लिए कपड़े पहनने का ढंग 
बच्चो के लिए काफी, आइसक्रीम, चाकलेट सब छोड़ी
कभी को खरीद लिया कुछ अपने लिए 
स्वार्थी का तमगा लिए फिरती है 
वो औरत है जो गृहिणी कहलाती है

प्लंबर, बढ़ई, दर्जी, धोबी
इलेक्ट्रीशियन, ड्राइवर 
नर्स, डॉक्टर सब काम करती जाती
कभी बैठ के एक कप
गर्म चाय भी नही पी पाती 
फिर भी सुनती है सब से 
गृहिणी को काम ही क्या
सीरियल देखना और चादर तान के सोना 
वो बाहर कमाने नही जाती 
पर घर बैठ के हजारों रुपए बचाती है 
वो औरत है जो गृहिणी कहलाती है

✍️ प्राप्ति सिंह ( हैदराबाद, तेलंगाना )

🏆 परिस्थितियों का दास मानव 🏆








सुनो..

सोचती हूँ

होगी कोई तो 

एक शाम 

जिसमें सहेज लेंगे 

चंद लम्हे 

अनमोल से..

जो जियेंगे हम-तुम साथ 

बैठ गंगा किनारे

सीढ़ियों पर

ले कुल्हड़ में चाय।

वो गंगा की लहरें

वो ठंडी मधुर बयार

वो शीतल सा 

चाँद का निकलना 

वो गंगा में 

ठहरी नाव का 

मचलना

और 

वो हमारे 

दिलों का पिघलना

पर

जो चाहा 

वो कहाँ हो पाता है 

रह जाते हैं हम 

बस सोच कर ही

कहाँ जी पाया है 

अपने मन 

बस

परिस्थितियों का 

दास रहा है

मानव 

सदैव ही..।


✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

रविवार, जून 26, 2022

🏆 मन की सुन्दरता है सबसे न्यारी 🏆






मेरा  मन  मेरे  तन  से  भी  ज्यादा  सुन्दर  ...
किस  किस  से  कहूँ  कि  मेरा  मन  है  कितना  सुन्दर...
पानी  की सफेद  झलक का  चित्रण  है  ये  मन....
आंखों  के  आगे  बहती  हो  ज्यों  निर्मल   पवन ....
बातों  की  बातों  से  जुझारू  होता  है  ये  मन...
दिल  की  तह  तह  से  खेलता  होता  है  ये  मन  ....
यादों  के  सहारे  जीता  है  ये  मन  ...
सुन्दर  यादों  से  भी  सुन्दर  होता  है  ये  मन....
उकेरी  सुन्दरता  से  क्या  होता  है  ....
मन  की  सुन्दरता  से  ही  ये  दिल हँसता  है  ....
जीवन  तक  साथ  जो  देता  है....
मरने के  उपरांत  भी  वह  साथ  होता  है....
इसमें मन  की  सुन्दरता  का  सदा  साथ  होता  है....
चेहरे  का  क्या  कहना  ....
कुछ  पल  में  लुप्त  होना  है  ....
मन  की  छवि  तो  ....
मरने  के  पश्चात  भी  ...
जिन्दा  रहनी  है  ....
इतिहास  में  जो  अमर  हो  जानी  है....।।

      ✍️ डॉ. उमा सिंह बघेल ( रीवा, मध्य प्रदेश )

🏆 जुल्फें, लब, रूख़सार बहकें 🏆






ग़ज़लों से कितना प्यार बरसे
जहनों तन हो गुलज़ार महकें

जुल्फें, लब, रूख़सार बहकें
झुमके-बिंदी की मार सहते

दायरा दरम्यान आ जाए भले
मुख़्तसर हाथ में संसार भरके

आप रोशन सितारा जहाँ का
बेनूर नज़र कहाँ बेकार भटके

नील गगन सी चादर सिर पर
साया मुहाफ़िज़ प्यार बन के 

कौन कब तक बनेगा पासबाँ
निकल सिर जुनूँ सवार करके

मिसरे में रिश्ता आपसे जुड़ा
मुखड़ा आँखो में ख़ुमार लेके

✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )

🏆 जीवन का खूबसूरत वक्त 🏆









शब्द नही होते हैं हरदमकहने को मन की बात।

जी करता है कभी तो बैठूँले हाथों में तेरा हाथ।।


देखो तो कितना खूबसूरत हैये वक्त भी जीवन का।

चलते रहना यूँ ही तुमना छोड़ के जाना अब ये साथ।।


जब नींद नहीं आयी मुझकोसाथी था मेरा तन्हा चाँद।

उसकी आँखों में नींद नही थीबातें करते कट गयी रात।।


नाम हथेली पर तेराआंसू से मैंने लिख रखा है।

खोल हथेली पढ़ लेती हूँआती है जब तेरी याद।।


जब चाहा तुमसे मिलनाआइने में ख़ुद को देख लिया।

आँखों में तुम दिख जाते हो, प्रेम में जाने क्या है बात।।


     ✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...