रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
गुरुवार, जून 30, 2022
🏆 महत्वपूर्ण चाँद 🏆
🏆 मनभावन है पेड़ की छांव 🏆
बुधवार, जून 29, 2022
🏆 पिता छांव है 🏆
कड़ी धूप में पिता आराम दायक छांव हैं
पिता मेलों में कंधे ले चलने वाले पांव हैं
हर खुशी मिले पिता के लाड चाव है
कभी उल्टा नहीं पड़े पिता का दांव है
आशीष पिता के अखंड़नीय सत्य है
उनके आशीष सी सम्पत्ति ना अन्यत्र है
उनकी पनाहों में गुजर गया जो पल है
इतना फलदायी ना कोई और शजर है
माँ बाप के सम्मान से भगवान खुश
इनके प्यार से ही बनते काबिल सब
सारी उम्र इमानदारी ना धन लोलुप बने
कुनबा सब छत्र छाया में फलता फले
पिता की सीख बस मजबूत बनो बेटा
बाप रहम खाता है पर ना खाती दुनिया
पिता के लिए घर जैसे बन जाता तपोवन
रोम रोम से पसीना बहाता पिता तन
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
🏆 आज का दौर फैशन का 🏆
🏆 छूत की बीमारी सी होती मुस्कुराहट 🏆
मंगलवार, जून 28, 2022
🏆 प्रेम का सार्थक रूप है विवाह 🏆
🏆 झुर्रियां बुढ़ापे की 🏆
ना दस्तक दी, ना आवाज ही
कब आ गयी झुर्रियां बुढ़ापे की
बिन खटखटाहट खोल के दर
बुढ़ापा आन खड़ा दरवाजे पर
आ ही गये हो बैठ जाओ भाई
अभी जरा बालों को रंग के आई
माना अब मेरे शरीर पे तू बसा
ढीलमढाला हुआ न रहा कसा
लाख छिपा छिपा ना पाओगी
मैं बुढ़ापा ऐनक न लगाओगी
बिन ऐनक कैसे देख पाओगी
एक अक्षर नहीं लिख पाओगी
जवानी हंस बोली यह घर मेरा
बुढ़ापा भी समझा के कह रहा
सखी ! ना घर तेरा ना घर मेरा
यह तो आवागमन का ही फेरा
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
🏆 जीवन में बदलाव है शादी 🏆
🏆 असली फैशन 🏆
जब हम औरों को देख-देख
किसी जलन में नही जलते हैं
जब हम अपने बुजुर्गों को
नमन करते हुए जगते हैं
जब हम ग्रंथों का सार पढ़
जीवन में पालन करते हैं
जब भी हम सबकी ख़ातिर
सम्मान की भावना रखते हैं
जब हम मन का अहमघमण्ड
जब हम मन को सात्विक कर
स्वाभिमान से आगे बढ़ते हैं
जब हम अपनी ठेठ भाषा को
बोलने से नही हिचकते हैं
जब हम साड़ी, सलवार-कमीज में
इठलाकर के चलते हैं
जब हम धोती-कुर्ते में भी
पूरे अभिमान से भरते हैं
जब हम माथे के बिंदी, तिलक को
सम्मान से धारण करते हैं
तब छा जाती है चहुं ओर रौनक
यही तो असली फैशन है हमारा
क्यों हम पाश्चात्य के पीछे दौ
✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )
🏆 प्रभु का बसेरा 🏆
सोमवार, जून 27, 2022
🏆 पेड़ो की अहमियत 🏆
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान
धरती का श्रृंगार पेड़ ही
जीवन का आधार पेड़ ही
सूखी धरती करती कल्पना
काले बादल काढ़े अल्पना
बारिश का मौसम धरा को वरदान
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान
जब बारिश की बूंदे गिरती
सूखी धरा महक से उठती
अकाल कभी ना सहे धरा
बिन अनाज तो मानव मरा
सोने सी धरती पर बरसो आन
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान
बारिश की कीमत अनमोल
इसके तो कीचड़ का भी मोल
पेड़ो की अहमियत समझे हम
सूखी धरा की पुकार सुने हम
सूखे सारे सपने टूटे सब अरमान
ओरे मोरे चाँदी से ध्वल आसमान
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
🏆 ये मुस्कुराहट सुकून देती है 🏆
🏆 गृहिणी औरत 🏆
🏆 परिस्थितियों का दास मानव 🏆
सुनो..
सोचती हूँ
होगी कोई तो
एक शाम
जिसमें सहेज लेंगे
चंद लम्हे
अनमोल से..।
जो जियेंगे हम-तुम साथ
बैठ गंगा किनारे
सीढ़ियों पर
ले कुल्हड़ में चाय।
वो गंगा की लहरें
वो ठंडी मधुर बयार
वो शीतल सा
चाँद का निकलना
वो गंगा में
ठहरी नाव का
मचलना
और
वो हमारे
दिलों का पिघलना…।
पर…
जो चाहा
वो कहाँ हो पाता है
रह जाते हैं हम
बस सोच कर ही
कहाँ जी पाया है
अपने मन
बस
परिस्थितियों का
दास रहा है
मानव
सदैव ही..।
✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )
रविवार, जून 26, 2022
🏆 मन की सुन्दरता है सबसे न्यारी 🏆
🏆 जुल्फें, लब, रूख़सार बहकें 🏆
ग़ज़लों से कितना प्यार बरसे
जहनों तन हो गुलज़ार महकें
जुल्फें, लब, रूख़सार बहकें
झुमके-बिंदी की मार सहते
दायरा दरम्यान आ जाए भले
मुख़्तसर हाथ में संसार भरके
आप रोशन सितारा जहाँ का
बेनूर नज़र कहाँ बेकार भटके
नील गगन सी चादर सिर पर
साया मुहाफ़िज़ प्यार बन के
कौन कब तक बनेगा पासबाँ
निकल सिर जुनूँ सवार करके
मिसरे में रिश्ता आपसे जुड़ा
मुखड़ा आँखो में ख़ुमार लेके
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
🏆 जीवन का खूबसूरत वक्त 🏆
शब्द नही होते हैं हरदम, कहने
जी करता है कभी तो बैठूँ, ले हा
देखो तो कितना खूबसूरत है, ये वक्त भी जीवन का।
चलते रहना यूँ ही तुम, ना छोड़
जब नींद नहीं आयी मुझको, साथी था मेरा तन्हा चाँद।
उसकी आँखों में नींद नही थी, बा
नाम हथेली पर तेरा, आंसू से मैं
खोल हथेली पढ़ लेती हूँ, आती है
जब चाहा तुमसे मिलना, आइने में
आँखों में तुम दिख जाते हो, प्रेम में जाने क्या है बात।।
✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...