पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा लोगों को कण-कण में बसी सुंदरता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन सुंदरता विशेष साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - कण-कण में है सुंदरता' रखा गया। इस महोत्सव में देवप्रिया 'अमर' तिवारी (दुबई, यू.ए.ई.) सहित देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषय पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत सर्वोत्तम रचनाकार' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने सुंदरता के महत्व, विशेषता तथा उपयोगिता के बारे में बताते हुए सभी देशवासियों से देश को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देने की प्रार्थना की और महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया तथा सम्मान पाने वाली सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी रचनाकारों को आने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम अमृता पुरोहित, जयंती खमारी 'रुही', देवप्रिया 'अमर' तिवारी रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
बुधवार, नवंबर 30, 2022
रविवार, नवंबर 27, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन भारत विशेष साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा भारत देश की महानता तथा विशेषता को दर्शाने के उद्देश्य से ऑनलाइन भारत विशेष साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - भारत देश है विशेष' रखा गया। इस महोत्सव में देवप्रिया 'अमर' तिवारी (दुबई, यू.ए.ई.) सहित देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषय पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत साहित्य स्वर्ण' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने भारत देश की महानता तथा विशेषता के बारे में बताते हुए सभी भारतवासियों को भारत की उन्नति में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए प्रेरित किया तथा महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया और सम्मान पाने वाली सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी रचनाकारों को आने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम देवप्रिया 'अमर' तिवारी, अमृता पुरोहित, जयंती खमारी 'रुही' रचनाकारों के रहे।
🌻 सुरम्य सृष्टि का गीत 🌻
शनिवार, नवंबर 26, 2022
🌻 सुंदरता की खान थी वह 🌻
मेरे हृदय का गान थी वह।
झूम उठा था जिसको देख,
सहज सरल शाम थी वह।।
🇮🇳 मेरे भारत सा ना कोई मिला 🇮🇳
शुक्रवार, नवंबर 25, 2022
🇮🇳 भारत मेरा अभिमान 🇮🇳
🇮🇳 अमर रहें माँ भारती, अमर रहे परिवेश 🇮🇳
गुरुवार, नवंबर 24, 2022
🌻 प्रकृति में सुंदरता 🌻
शनिवार, नवंबर 19, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन वक्त विशेष साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा लोगों को वक्त के महत्व का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन वक्त विशेष साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - वक्त का महत्व' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषय पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में एक ओर जहां वरिष्ठ रचनाकारों ने रचनाओं में अपनी विशिष्ट साहित्यिक शैली का प्रदर्शन किया तो दूसरी ओर समूह से जुड़े नवीन रचनाकारों ने भी अपनी अनूठी भावनाओं और विचारों से समूह का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत वक्त गौरव' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने जीवन में वक्त के महत्व के बारे में बताते हुए सभी लोगों को वक्त के साथ चलने के लिए प्रेरित किया तथा महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया और सम्मान पाने वाली सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी रचनाकारों को आने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम संध्या शर्मा, भारती राय, स्मिता चौहान, कल्पना यादव रचनाकारों के रहे।
बुधवार, नवंबर 16, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन बाल दिवस साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा बाल दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन बाल दिवस साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'बचपन होता है विशेष' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषय पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन बाल दिवस साहित्यिक महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और ऑनलाइन बाल दिवस साहित्यिक महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश ) और संध्या शर्मा ( पटना, बिहार ) द्वारा प्रस्तुत की गई रचनाओं ने समूह का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत बाल साहित्य रत्न' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी को कोटि-कोटि नमन करते हुए सभी देशवासियों को उनकी भांति बच्चों से स्नेह करने के लिए प्रेरित किया और महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन किया तथा सम्मान पाने वाली प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी रचनाकारों को समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम भारती राय, संध्या शर्मा, कल्पना यादव, स्मिता चौहान रचनाकारों के रहे।
⏲️ वक्त की पहचान ⏲️
"काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
मंगलवार, नवंबर 15, 2022
⏲️ बेरहम वक्त ⏲️
🤹 बचपन मरने ना दो 🤹
"मेम साहब मुझे बुखार हो रहा है, एक दो दिन की छुट्टी चाहिए "राधिका ने कहा। कैसी बात कर रही है राधिका, तुझे पता है ना मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं होता है तू किसी और को बोल अपनी जगह काम करने को" सुधा बोली। "मेम साहब मैंने पूछा था पर कोई भी साथ की कामवाली तैयार नही है।" मुझे नही पता राधिका, तेरी बेटी भी तो है तू उसको भेज दे अपनी जगह।" "कैसी बात कर रही हैं मेम साहब वो तो अभी छोटी बच्ची है और स्कूल जाती है। वैसे भी मैं अपनी बच्ची का बचपन नही छीन सकती।" "देख राधिका मुझे कुछ नहीं पता या तो तू अपनी जगह बेटी को भेज नही तो मैं किसी और को रख लूंगी। मेरे पास समय नही होता घर के काम का और कल बाल दिवस है मेरे कल कई कार्यक्रम है।" कहकर सुधा ने फोन रख दिया। पास बैठे सुधा के पति जो सारी बातें सुन रहे थे बोले "क्या हुआ सुधा क्यों इतनी परेशान हो ?" अरे ! ये राधिका जरूरत के समय छुट्टी कर लेती है और अपनी बच्ची को भी नही भेज रही।" तुम परेशान ना हो कल मेरी और पीहू की छुट्टी है हम दोनों मिलकर सब संभाल लेंगे तुम अपने बाल दिवस के कार्यक्रम पर ध्यान दो जहां तुम मुख्य अतिथि हो"। "कैसी बात कर रहे हैं आप पीहू छोटी बच्ची है वो घर का काम कैसे करेगी।" " वैसे ही जैसे राधिका की बेटी करेगी, पीहू उसकी ही हम उम्र है ना तो हमारी बेटी भी तो कर सकती है ना" सुधा के पति ने कहा। सुधा को समझ आ गया कि वो क्या गलती कर रही थी। मुझे माफ कर दीजिए भूल गई थी कि अपने स्वार्थ में मैं किसी बच्चे का बचपन छीनने चली थी। मैं अभी राधिका को फोन कर के माफी मांगती हूँ।
सोमवार, नवंबर 14, 2022
🤹 बच्चों की ख्वाहिश 🤹
शनिवार, नवंबर 12, 2022
⏲️ वक्त ⏲️
शुक्रवार, नवंबर 11, 2022
🤹 बच्चों के लिए गुरु मंत्र 🤹
गुरुवार, नवंबर 10, 2022
🤹 भिन्न हुआ बचपन कैसे 🤹
देख एक बच्चे को चुनते कचरा
मेरी बेटी ने प्रश्न किया गहरा…
माँ, वो भी तो है बच्चा मुझसा
तो क्यों उसके बचपन पर पहरा ?
क्यों मैं फिरती नाज़ों से और
क्यों वो चुनता फिरता कचरा ?
माँ, वो बचपन क्यों पैबंद में लि
क्यों मैं बदलूँ सुंदर कपड़े झ
क्यों सब मुझसे लाड लड़ाते
क्यों उसको कहते ‘चल हट’ ?
क्यों मेरी पीठ पे महँगा बस्ता ?
क्यों कचरे का थैला उसे मिला ?
क्यों उसका मटमैला बचपन ?
क्यों मेरा रंगों से खिला ?
माँ, मैं क्यों पढ़ने जाती हूँ ?
क्यों हक़ शिक्षा का उसको नही
जब हम दोनों ही बच्चे हैं
तो बचपन कैसे भिन्न भला ?
सुनकर बेटी के प्रश्नों को
मैं भीतर-भीतर सोचती हूँ
तीर से चुभते लेकिन सच्चे
इन प्रश्नों के उत्तर खोजती हूँ
लाख कोशिशें करती हूँ
गूगल, ट्विटर भी खोलती हूँ
पुस्तक, लेख, निबंध और टीवी
हर सम्भावित जगहें टटोलती हूँ
पाती हूँ इन पर बातें बड़ी
लेख, निबंध, डिबेट की लगी झड़ी
किंतु हल मिलता कहीं नही
बस बातें होतीं बड़ी-बड़ी
उपजे बालमन के प्रश्न ये गूढ़ ब
मानो, मुँह बाये उत्तर सुनने को
क्यों एक तरफ़ मटमैला बचपन
क्यों दूसरी ओर रत्नों से जड़े ?
बिटिया के प्रश्न हैं नश्तर से
मानो सीने में चुभते हों जैसे
जब हम दोनों ही बच्चे हैं
तो भिन्न हुआ बचपन कैसे…?
बोलो…
हुआ भिन्न बचपन कैसे ?
✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )
मंगलवार, नवंबर 08, 2022
⏲️ समय का व्याकरण ⏲️
समय का व्याकरण
और हम...
अ, आ, इ, ई के जाल में उलझे
बुनते ताने बाने
छोटा उ, बड़ा ऊ
क्या घटाऊँ, क्या बढ़ाऊँ
रिश्ते घटते, असंवेदनशीलता बढ़
देखते सब कुछ
मोहमाया के जंजाल में फँसे...
ज़िंदगी हमपर जैसे लगातार कोई तं
ए, ऐ का भी खेल निराला
लय, सुर, ताल पर पड़ गया ताला..
जीवन की डगर कभी इधर से गुजरे
तो कभी उधर से गुजरे
जिंदगी करती दिखती बिन ताल के
सोचने बैठे ओ, औ, अं, अः
होंठो पर हंसी गायब स्वतः..
कितने और उतार चढ़ाव
जाने क्या है जीवन का बहाव...
आँखों की नदी अब बनी समंदर
गहरी वेदना इसके अंदर....
कुछ भी नही बचा अब शेष
चल रही हैं बस साँसें और धड़कन.
और समय के इस व्याकरण में
बस उलझे रह गए हम...
✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...