बुधवार, अगस्त 31, 2022

👩‍🏫 आदर्श शिक्षक 👩‍🏫

जो ज्ञानी, विद्वान, बुद्धिमान शिक्षक हमें साक्षर बनाकर आत्मविश्वास से जीवनयापन करने की सीख दे, विद्या-धन भर-भर बांटे, गलती करने पर डांटे, सजा सुनाये, जरुरत पड़ने पर लताड़े भी, प्यार से गले भी लगाए, वही सच्चे गुरु, शिक्षक। अपने विद्यार्थी से सुधार की कोशिश लगातार करवाए, विषय को सहज, सरल कर समझाए। अपने विद्यार्थी की प्रगति के लिए कठिन परिश्रम करे, उनके यश, कीर्ति, प्रतिष्ठा से अति हर्षित हो, उनकी कामयाबी के लिए जो अथक प्रयास करे। असंभव को संभव करने का साहस मन में जगाये। अंधियारे में दीप  जलाना  सिखाये, ऐसे महामहिम, जीवन के सशक्त स्तंभ होते हैं शिक्षक, हमारे अध्यापक। अपने विद्यार्थियों से जो प्रेम, स्नेह, अपनेपन, आत्मीयता भाव से जुड़ा हो, वे ही आदरणीय गुरु, सम्माननीय शिक्षक। ज्ञान और शिक्षा से जो अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता हैं, ऐसे महान, कुशल शिल्पकार। शिक्षक जीवनमूल्यों को, संस्कार-धर्म को बालमन पर बिंबित कर धर्मानुरागी,  संस्कृति प्रिय व्यक्तित्व विकास की जिम्मेदारी निभाते हैं। मेहनत, लगन, परिश्रम की महत्ता से रूबरू कराते हैं। सही गलत की पहचान करना सिखाते हैं। कोई भी विषय हो, यथाशक्ति ज्ञान प्रदान कर अपने विद्यार्थी के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। नित नए शोध, अनुसंधान के लिए प्रेरित करते हैं। अज्ञान तम हटाकर ज्ञान ज्योति जलाते हैं। राह पथरीली हो या, कंटीली आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करते हैं। नवचैतन्य, नव उल्लास से जीवन में सफलता पाने का गुरु मंत्र देते हैं शिक्षक। हमारे जीवन के महान शिल्पकार शिक्षक। हमारे लिए सदैव आदरणीय, सम्माननीय रहेंगे। हम सदा उनके ऋणी रहेंगे। हमारे पंखों में हौसले का संबल भर ऊँची उड़ान का साहस देने वाले हमारे शिक्षकों को हमारा शत-शत नमन। हमारे गुरुजनों का मार्गदर्शन, आशीर्वाद हमें मिलते रहे। उनकी प्रेरणा, प्रोत्साहन से हम सफलता का परचम लहरा पाये, यही हमारी मंगल कामना हैं। अपनी उन्नति, अपने विकास के लिए हमारे शिक्षक अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। हमारे सम्मानीय गुरुजनों को, आदरणीय शिक्षकों को हमारा सादर प्रणाम। हम सदैव आपके ऋणी रहेंगे। शिक्षक का मार्गदर्शन हमारे जीवन में अति महत्वपूर्ण हैं। गुरु बिना संभव या कहो सहज नहीं ज्ञान पाना। अपने गुणों का संपूर्ण विकास करने के लिए हमें जरूरत होती हैं ऐसे ज्ञानी, कर्मठ शिक्षक की जो हमारी गलतियों को सुधार कर, हमारे गुणों को निखारें।  हमारे व्यक्तित्व को तराशे। जैसे शिल्पकार पत्थर को तराश कर सुन्दर शिल्प बनाते हैं, आदरणीय गुरुजन अपने मार्गदर्शन, प्रेरणा, प्रोत्साहन से हमारे जीवन को सुन्दर आकार देते हैं। ज्ञान भंडार से कला-कौशल का ज्ञान देकर हमारे जीवन को सुचारू बनाते हैं।  हम अपने जीवन में अर्थार्जन करने में सक्षम बन अपने उत्तरदायित्व का निभाव भली-भांति कर पाते हैं।  सफलता का परचम लहराना हैं, तो गुरुवर्य के आदेशों का पालन करते हुए, उनके बताये मार्ग पर निःशंक आगे बढ़े। अपने व्यक्तित्व विकास में उनका सहयोग लें, उनके दिशा दर्शन अनुसार अपने विकास और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करे। हमारे पंखों में हौंसले का संबल भर ऊँची उड़ान का साहस देने वाले हमारे शिक्षकों को हमारा शत-शत नमन। हमारे गुरुजनों का मार्गदर्शन, आशीर्वाद हमें मिलते रहे। उनकी प्रेरणा, प्रोत्साहन से हम सफलता का परचम लहरा पाये, यही हमारी मंगल कामना हैं। आज के भौतिक चकाचौंध, पाश्चिमात्य संस्कृति का अंधानुकरण, आपाधापी, और तनाव भरे जीवन में हम हमारे जीवन मूल्य खोते जा रहे हैं। ऐसे कलुषित, प्रदूषित व्यवस्था को आदर्श शिक्षक की सही दिशा प्रदान कर सकते हैं। अच्छे शिक्षक का पाना, हमारा परम सौभाग्य हैं। अपने गुरुजनों का यथोचित सम्मान करना, हमारा अहम कर्तव्य है।

                          ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )

सोमवार, अगस्त 29, 2022

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह विशेष साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास कराने के उद्देश्य से ऑनलाइन 'स्नेह विशेष साहित्यिक महोत्सव' का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'स्नेह से संसार' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषय पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन 'स्नेह विशेष साहित्यिक महोत्सव' की शोभा में चार चाँद लगा दिए और ऑनलाइन स्नेह विशेष साहित्यिक महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस‌ महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत शब्द स्नेही' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने मनुष्य के जीवन में स्नेह का विशेष महत्व बताते हुए, लोगों से प्रकृति के कण-कण के प्रति स्नेह भाव रखने की प्रार्थना की और महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया और सम्मान पाने वाले सभी प्रतिभागी रचनाकारों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने रचनाकारों को आने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम भारती राय, सीमा मोटवानी, सविता 'सुमन', सम्पदा ठाकुर, रंजन लाल 'बेफिक्र' रचनाकारों के रहे।

👨‍👩‍👧‍👦 माँ 👨‍👩‍👧‍👦








जग में सब सुख से बढ़कर
होता है मां का आंचल
मां ही मंदिर, मां ही मस्जिद
मां ही है गिरिजाघर
मां के कदमों में ही
होती है सारी जन्नत
जिस घर में रहती है मां
वह घर है स्वर्ग से बढ़कर
युगों-युगों से मां की
गाथा का गुणगान
करते है वेद-पुराण
मां के आंचल के तले
पले-बढ़े है स्वयं भगवान
पवन होती है मां की ममता
निश्चल होता है इसका प्रेम
पानी भी जिस को छूकर
बन जाता है गंगाजल
मां अपने बच्चे के ऊपर
कभी ना आने देती कष्ट
सारी विघ्न बाधाओं को
पल में वह लेती है हर
भूल से भी ना दुखाना
कभी अपनी मां का हृदय
वरना सुख ना पाओगे कहीं
जीवन में मच जाएगा प्रलय।
           
✍️ सम्पदा ठाकुर ( मुंगेर, बिहार )

रविवार, अगस्त 28, 2022

💞 दिल की सदा 💞








सुना है दिल की सदा 
पहुंचती है वहां तक 
खुदा की पहुंच 
होती है जहां तक 
फिर क्यों मेरी सदा नही
पहुंचती है तुम तक 
क्यों नही दिल तुम्हारा 
धड़कता है मेरे लिए 
क्यों नही एहसास हुआ है
तुमको मेरे प्यार का अब तक
पर है मुझे यकीन 
एक ना एक दिन तो
समझोगे मेरा प्यार  
एक ना एक दिन तुम भी 
तड़पोगे मेरे लिए मेरे यार 
मुझे मेरे प्यार पर 
इतना तो है एतबार 
एक ना एक दिन 
तुम भी करोगे 
मुझसे मेरी तरह प्यार 
पर देखना है यह करिश्मा
होता है कब तक 
मैं भी करूंगी उस पल का 
इंतजार तब तक 
तुम आकर करते नही मुझसे 
इजहार-ए-मोहब्बत जब तक।
               
 ✍️ सम्पदा ठाकुर ( मुंगेर, बिहार )

👨‍👩‍👧‍👦 छोटा बेटा 👨‍👩‍👧‍👦







मैं मेरे घर का छोटा बेटा,

हमेशा से उन्मुक्त ख्याल लिए,

सभी के स्नेह की छांव में पला,

भरपूर आशीष लिए जीवन पथ पर चला।

 

छोटे होने का सबसे बड़ा फायदा,

न कोई जिम्मेदारी न कोई कायदा।

जैसे सलाह मिली उस पथ पर चला,

जो समझाया बस वही समझता चला।


बस इसी पर विश्वास रहा की अपने बड़े है,

गलत दिशा निर्देश नही देंगे,

जितने पुरस्कार है मिलेंगे वो मेरे है,

सारी समस्याएं बड़े खुद सह लेंगे।

 

पर आप भी माने मैं जो मानता हूँ,

छोटा बेटा थोड़ा तो निराला होता है,

और सभी से ज्यादा नटखट होता है।


क्यूं ना हो, सृष्टि का शाश्वत ही नियम है,

बलराम के कृष्ण हो या राम के लखन हो।

सदा चंचल नटखट उदंड छोटे ही होते है,

बड़ों के कंधे पर छोड़ सबचैन से सोते है।


यही हमारी धरोहर सभी बड़ो का प्यार है,

ये जो ना होता तो जीवन बहुत कठिन होता,

आनंद दायक जीवन क्योंकि मैं छोटा बेटा।। 


✍️ रंजन लाल 'बेफिक्र' ( इंदौर, मध्य प्रदेश )



शनिवार, अगस्त 27, 2022

👨‍👩‍👧‍👦 खोया हुआ रिश्ता 👨‍👩‍👧‍👦








इस बरसते सावन में,
मेघ से ज्यादा...
बरसती हैं स्मृतियां,
बूंदों के साथ,
टूट-टूट कर गिरते हैं,
स्नेह के पल..!

यूँ,
एकाएक,
किसी के,
चले जाने के बाद भी,
सात जन्मों के बंधन,
भला कहां टूटते हैं...!

बरस दर बरस बिछड़ गया
साथी,
और पुख्ता होकर,
यूँ समाता जाता है,
रह गए उस दूसरे के अस्तित्व में..!

बारिश के साथ
बरसती आंखों में,
जिसे पढ़ा जा सकता है,
बड़ी आसानी से...!

स्मृतियों का रंग
कभी जर्द नही पड़ता
खोया हुआ रिश्ता
पहले से ज्यादा
अब,
झलकता है
पूरे वजूद में...!

✍️ शशि कुरील ( जबलपुर, मध्य प्रदेश )



💞 मुहब्बत इबादत मुहब्बत खुदा है 💞



 





मेरी जिंदगी का यही फलसफा है।

मुहब्बत इबादत मुहब्बत खुदा है।। (१)

 

मुहब्बत बनी मंजिलें आज मेरी,

मुहब्बत यही बन गई रास्ता है।। (२)

 

सलामत रहे ख़्वाब मेरा हमेशा,

दुआओं का अब तो बचा आसरा है।। (३)

 

किसी दौर में भी न हारा कभी जो,

नही इश्क़ का हार से वास्ता है।। (४)

 

हुई याद आने की अब इंतिहां है,

सुलाकर मुझे ख़्वाब भी जागता है।। (५)

 

मेरी जान लेगी ज़रा बेरुखी भी,

मेरे दिल की हालत तुम्हें तो पता है।। (६)

 

वफ़ाओं के बाज़ार में अस्मतों सा,

यही इश्क हर बार तन्हा लुटा है।। (७)

 

हुआ इश्क़ में नाम बदनाम ऐसे,

लबों पर सभी के मेरा वाकिया है।। (८)

 

मिला है बहुत जिससे बेफिक्र धोखा,

उसी ने हमेशा भरोसा दिया है।। (९)

  

  ✍️ रंजन लाल 'बेफिक्र' ( इंदौर, मध्य प्रदेश )


गुरुवार, अगस्त 25, 2022

💞 इश्क 💞











ठिठुरती सर्द रातों में जलता सा इक अलाव है ये इश्क

जैसे जोगन मीरा का कृष्ण से लगा है ये इश्क


तेरी आँखों का मेरी आँखों की तर इक खिंचाव है ये इश्क

तेरी रूह का मेरी रूह की तरफ झुकाव है ये इश्क


बहते से जीवन में इक खूबसूरत सा ठहराव है ये इश्क

बिखरते टूटते जीवन में सुकून का इक पड़ाव है ये इश्क


शिद्दत से पढ़ा जाए जो ख़ामोशियों के भी हैं अल्फ़ाज़ 

ऐसे ही दो दिलों का परस्पर इक जुड़ाव है ये इश्क


छोड़ दूँ कहीं होंसला कभी बीच मझधार में तो 

जो खुद बढ़कर पार लगा दे किनारा वो नाव है ये इश्क


           ✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

बुधवार, अगस्त 24, 2022

👨‍👩‍👧‍👦 दोस्ती का रिश्ता 👨‍👩‍👧‍👦

कुछ रिश्तों से जन्म के साथ ही हम जुड़ जाते हैं और कुछ रिश्ते हमारे खुद के बनाये होते हैं। जिस तरह हरे-भरे पेड़ से बगिया सुशोभित होती है। वैसे ही रिश्तों से हमारी जिंदगी। सभी रिश्तों मे एक दोस्ती का रिश्ता ऐसा है, जो उम्र के हर मोड़ पर कायम रहता है। हमारे सुख-दुख में हमारे दोस्त हमारे कांधे से कांधा मिलाकर चलते हैं। कभी जो राह भटक जाये तो एक सच्चा दोस्त ही हमें सही राह दिखाता है। दोस्ती ऐसा रिश्ता है जिसे हम खुद बनाते हैं। दोस्त ही है जो हमें प्यार और फटकार दोनों से समझाता है। और हमारा सही मार्गदर्शन करता है। अगर किसी को सही मार्गदर्शक मिल जाये, जैसे :- कृष्ण मिले थे अर्जुन को तो जीवन के कुरुक्षेत्र में जीत निश्चित है। दोस्त उस सारथी की तरह होता है, जो हमारे जीवन रथ को हर उबड़-खाबड़ रास्तों से सही सलामत निकाल लाता है। अगर हर रिश्ते में दोस्ती हो तो वो मिसाल बन जाती है। रिश्ता चाहे कोई भी हो पति-पत्नी, माँ-बेटी, सास-बहु, ननद-भाभी या पिता-पुत्र दोस्ती होना चाहिए। हमारी मुश्किल परिस्थितियों में भी जो हमारे साथ खड़ा रहे वही सच्चा दोस्त है। दोस्ती की कई मिसालें हैं जैसे कृष्ण-सुदामा, करण-दुर्योधन। एक अच्छा दोस्त हमारे धूल समान अवगुणों को दूर कर हीरे जैसा चमका सकता है। तो एक बुरा दोस्त हमें मार्ग भटका कर दलदल में गिरा भी सकता है। इसलिए दोस्ती सदैव सोच-विचार कर हमेशा सही और सच्चे इंसान से करना चाहिए 
         
                     ✍️ सविता 'सुमन' ( सहरसा, बिहार )

👨‍👩‍👧‍👦 खोये रिश्ते 👨‍👩‍👧‍👦








कुछ रिश्ते संभाल कर 
मैंने कहीं रख दिये थे 
कि वो अब खोजे नही 
मिल रहे मुझको
शायद रखा था उनको 
सिलवटी चादर के नीचे या फिर 
संदूक में सबसे छिपा कर 
ढूंढा बहुत तकिये के सिरहाने 
और अखबारों के ढेर में
चीनी-चायपत्ती के डिब्बे भी खंगाले
पर वो रिश्ते मिल ना पाये 
किसी तस्वीर के पीछे भी
कुछ रिश्ते ऐसे खो जाते हैं 
कि जैसे वो थे ही नही 
उनको रख कर हम भूल गये 
या फिर भूल से उन्हें 
कहीं रख दिया
मिल जायें किसी को
अगर वो खोये रिश्ते
सामने रखना उन्हें
मंदिर में ईश्वर की तरह

✍️ सीमा मोटवानी ( अयोध्या, उत्तर प्रदेश )

मंगलवार, अगस्त 23, 2022

💞 इजहारे इश्क 💞








कभी कहा ना जो तुमसे
कहने की तमन्ना थी
तुम थे मेरे हमदम
हम भी तेरे थे सनम
फिर क्यों लब खामोश थे
क्यों टिके थी चेहरे पर
शर्मो हया के परदे
वक्त करता जो वफ़ा
ना होते हम जुदा
दुनिया में सबसे प्यारा
इश्क था हमारा
संग जीने-मरने का
था इरादा हमारा
बेवफा तुम नही
वक्त ने की बेवफाई
छीन लिया उसने हमसे
तुमको ओ हरजाई
बाद तेरे ना कभी
मैं फिर मुस्कुरा पाई
बिन बादल के है वर्षा
मेरे नयनों ने रोज़ बरसाई
सुनो ! तुमसे मैं आज फिर
अपने दिल की बात कहती हूँ 
मोहब्बत आज भी बेइंतहा 
मैं तुमसे ही करती हूँ

✍️ सविता 'सुमन' ( सहरसा, बिहार )

सोमवार, अगस्त 22, 2022

💞 अंतिम कतरा प्रेम का 💞








तुम बेशक़ चले जाना 
इस कहानी से
बस उस एक लम्हें में ठहर जाना 
जहाँ प्रेम ने हमें अंगीकृत किया था
और स्वपन चल पड़े थे 
चाँद की नगरी में
ऊंघती अंखियों ने करवट 
ली थी भोर तलक
तुमनें भी तो बाँह पकड़ी 
थी रातों की।

तुम बेशक़ चले जाना 
इस कहानी से
पर कुछ पल को रुक 
महसूस करना वो स्पर्श 
जो मेरी उंगलियों में रह गया
तुम्हारी हथेलियां छोड़ कर
जरा देखना तो वो
अंतिम कतरा तुम्हारे प्रेम का
जो रोक रखा था पलकों पर
रूठ कर जाने किधर गया
जिंदा है या फिर मर गया ?

तुम बेशक़ चले जाना इस कहानी से
पर मुझ को लौटा जाना इतना
हमारी कहानी में बस मेरा "क़िरदार"

✍️ सीमा मोटवानी ( अयोध्या, उत्तर प्रदेश )

रविवार, अगस्त 21, 2022

👨‍👩‍👧‍👦 माँ ! मधुरता ला दे 👨‍👩‍👧‍👦











जीवन की उलझन सुलझाना 

तुम ने ही तो सिखलाया था

दुर्गम पथ पर राह बनाना

तुम ने ही तो बतलाया था

कहती थी जीवन अमृत है 

विष भी है कहाँ बताया था 

फूलों से चेहरे दिखलाए 

क्यों शूलों को सभी छुपाया था 

जी करता तू वापस आकर

मुझको फिर बाहों मे ले ले 

तेरा दिया ये कोमल मन

कैसे इस जग की कटुता झेले

माँ ! कहीं से मधुरता ला दे 

जो जीवन की कड़वाहट ले ले


जब नींद नही मुझको आती थी

मुझ संग रातों को तू जगती थी

अपनी हँसी मुझे दे कर 

हर बाधा मेरी हरती थी 

मुझको परियों की कथा सुनाती 

तुम मुझे परी सी लगती थी 

सारे दुःख मेरे जीवन के

अपने आँचल में भरती थी 

कभी तो यूँ ही फिर से मुझको

तू अपनी गोदी में ले ले 

नही सुहाते तनिक भी मन को

इस दुनियाँ के कृत्रिम मेले 

माँ ! कहीं से मधुरता ला दे 

जो जीवन की कड़वाहट ले ले


✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

मंगलवार, अगस्त 16, 2022

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्वतंत्रता दिवस साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन स्वतंत्रता दिवस साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'स्वतंत्रता का महत्व' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया जिन्होंने दिए गए विषय पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत राष्ट्र गौरव' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने सभी रचनाकारों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह इसी तरह आगे भी ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों के माध्यम से राष्ट्रीय पर्वो तथा भारतीय सभ्यता-संस्कृति से जुड़े विभिन्न पर्वो को मनाता रहेगा और नए रचनाकारों को साहित्यिक मंच उपलब्ध करवा के साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता रहेगा। उन्होंने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया और साथ ही समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए हिंदी रचनाकारों को सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम प्राप्ति सिंह, भारती राय, सम्पदा ठाकुर, सुप्रिया सिन्हा रचनाकारों के रहे।

रविवार, अगस्त 14, 2022

🇮🇳 नमन अमर शहीद की शौर्यता को 🇮🇳






धन्य है ! हमारी भारत माता
धन्य है ! भारत माँ का वीर लाल 
वतन-ए-आबरू बचाने के लिए
अर्पित कर दिया अपना भाल।

प्रखर शिलाखंड जैसी दृढ़ काया
अदम्य-उन्नाद-फड़कती भुजा 
केसरी की तरह उद्वेग गर्जन
थामे शमशीर, प्रबल-पंजा।

स्वतंत्रता के रण में चला जीवट वीर जवान
रिपुओं के नापाक इरादे का विध्वंस करने 
परवश अनल की दहकती चिंगारी को
अपने फौलादी भुजबल से ध्वस्त करने।

रूके नहीं कभी उनके जोशीले कदम
बढ़ता गया वो अथक, अविचल
परतंत्रता के साँकल को तोड़ने के लिए
दुश्मनों के आगे डटा रहा बनके अडिग उपल।

पेशानी पर भारत माँ की मिट्टी का कर तिलक
सरफ़रोश के असीम जज्बे का आगाज़ कर 
शत्रुओं से लड़ता रहा वो मरते दम तक
अपने उबलते खून में इंकलाब की ज्वाला जगाकर।

उन्होंने लहू का कतरा-कतरा बहा दिया
हो गए शहीद जाँ से प्यारे वतन के लिए 
हँसते-हँसते फाँसी के फंदे पर लटक गए
दे दी कुर्बानी अपने हिन्दुस्तान के लिए।

करके अपनी जान‌ न्यौछावर
पूरे हिंद को आजादी की सौगात दे गए 
करके अपना सर्वस्व समर्पित, अमर बलिदानी
अपनी मातृभूमि को दासता से मुक्ति दिला गए।

सौ-सौ बार नमन उनको, वंदन बारम्बार है
नमन है उनकी शहादत अदम्य वीरता को
ख़ाक में राख कर दी जिसने अपनी हस्ती
नमन है ऐसे अमर शहीद की शौर्यता को।

✍️ सुप्रिया सिन्हा ( बैंगलोर, कर्नाटक )

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...