जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव,
बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव।
रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे,
बिना ममता और स्नेह के रिश्ते लगे रूखे।
हर रिश्ते का हैं अपना एक महत्व,
बेनाम रिश्तों का ना हैं कोई अस्तित्व।
जीवन रूपी पेड़ की रिश्ते हैं अलग-अलग टहनी,
होती हैं इन टहनियों में कभी-कभी कहासुनी।
रिश्तों के बीच चलता हैं कभी-कभी मनमुटाव,
फिर भी होता हैं रिश्तों में अपनो के प्रति झुकाव।
✍️ करिश्मा नरेंद्र मल ( गढ़चिरौली, महाराष्ट्र )