बुधवार, जनवरी 24, 2024

🎄श्रृंगार🎄



हे प्रियतम !

    आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......।


    नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण

    मिल जाए बस आपका स्नेह..

    हो जाऊंगी मैं पूर्ण...,

    प्रियतम के प्रेम सा, नही कोई श्रृंगार

    आ जाए और भी निखार..

    हो जाए सब श्रृंगार...,

          

    आपके नाम का सिंदूर, काजल रहे..

    बिंदी, पायल, बिछिया..

    और मंगलसूत्र रहे...,

    हो जाएंगे मेरे सोलह श्रृंगार.,

    जीवन भर आपका स्नेह साथ रहे...,


    बस इसी आरजू के साथ..

    चहकती रहूँ, करती रहूँ..,

    जीवन पर्यंत आपके नाम का श्रृंगार..,


    क्योंकि हे प्रियतम !

    आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......।


    ✍️ रुचि पारीक ( अजमेर, राजस्थान )

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...