हर खुशी को तुझपर नजर कर दूँ।
मांगी हुई हर दुआ को असर कर दूँ।
तुझको ही मांगा और तुझको ही पाया,
बात ये जरा खुदा को भी खबर कर दूँ।।
कोह में भरी निगाहों पर कहर कर दूँ।
रात जो काली न जाये तो नेक पहर कर दूँ।
रहमतों की बारिश को रुकने न दूँगी कभी,
ख़िदमत में तेरी हर बूँद को लहर कर दूँ।।
गीत-ग़ज़ल-ओ-नग़मा तुझे अगर कह दूँ।
मख़मली आवाज़ में सजी हुई बहर कह दूँ।
कुछ नही है ये तो ज्यादा, बल्कि कम ही है,
एहसास मेरे चलते जहाँ तुम्हें वही डगर कह दूँ।।
जिधर का रुख़ हो तेरा खुश्बू को उधर कर दूँ।
हवा में फैली हर बू को इतर-इतर कर दूँ।
हर तितलियों का रंग भर दूँ निगाहों में तेरी,
कि आ प्यार से तुझे मैं तर-बतर कर दूँ।।
इश्क में पागल दिल मेरा बन गया शर है।
तुझको चुभ न जाये कहीं ये भी डर है।
इसलिए धड़कन को रख नोंक पर चलाया,
अब कह न देना कहीं कि तेरा न यहां कोई घर है।।
✍️ ललिता शर्मा 'नयास्था' ( भीलवाड़ा, राजस्थान )