शुक्रवार, दिसंबर 31, 2021

🦚 नव वर्ष साहित्यिक महोत्सव 🦚

मिलती धार लेखनियो को,
मिल रही पहचान छुपे चेहरों को।

आरंभ हो चुका था बहुत पहले,
अब उड़ान मिल रही है इन पंखों को।

तलाशने की हुनर वजह बन,
निरंतर पोषित करते नव लेखनियों को।

ये प्रयास है बेहतर से बेहतर चयन का,
है ये पल नव वर्ष साहित्यिक महोत्सव का।

कुछ खास कुछ अलग परिस्थितियों में,
ये आयोजन है पुनीत अनुपम प्रयास का।

मिलती धार लेखनियो को,
मिल रही पहचान छुपे चेहरों को।

आरंभ हो चुका था बहुत पहले,
अब उड़ान मिल रही है इन पंखों को।

         ✍️ हरिचंद यादव ( बलौदा बाजार, छत्तीसगढ़ )






🦚 सुस्वागतम् ! नव वर्ष 🦚

 

लविदा ! अलविदा !!
बीते साल को अलविदा ! 
2021 को अलविदा !

जिंदगी की किताब का,
खुल गया नया पन्ना ....
कोरे कागज पर अल्पना, 
नए साल की अनुपम कल्पना।
 
ख्वाबो की दहलीज पर, 
जगमगाया नन्हा दीया।
चांदनी में खूब नहाया ....
जर्रा-जर्रा, कोना-कोना।

खुशियों को 'चियर्स' कर...
गीत नए गुनगुनाए जा।
जिंदगी की हाला से भरा-पूरा, 
जाम से जाम टकराएं जा ....

स्वागतम् ! सुस्वागतम् ! 
नव वर्ष का स्वागत है !!

नव वर्ष की अनुपम बेला है,
खुशियों का रेलम-पेला है,
जिंदगी की झोली में,
चंद लम्हों का सतरंगी मेला है।

आज झूम ले तू मनवा।
कल किसने देखा है ?
दिल से दिल मिला ले।
मिल-बैठकर मुस्कुरा ले।

जिंदगी के आँचल तले,
गले मिल इस कदर,
धड़कने पल-पल तेज हो,
मदमस्त हो दर-बदर
रोते हुए आये हैं सब मगर,
हँसते हुए जायेंगे हम।
बीते अनमोल लम्हों की सौगात,
सारे जहां को बांटेंगे हम।।

        ✍️ कुसुम अशोक सुराणा ( मुंबई, महाराष्ट्र )




गुरुवार, दिसंबर 30, 2021

🦚 नववर्ष है आने वाला 🦚

नववर्ष है आने वाला 
खुशियों से झोला भरने वाला
नववर्ष है आने वाला

सबके दुःख को भर कर उसमें
सुख का उजाला बिखेरने वाला
दूर करके तन-मन के रोग
निरोगी काया देने वाला
नववर्ष है आने वाला

मन से मिटा कर इर्ष्या को
दिलों मे प्रेम जगाने वाला
लगा कर गले सबको
भाईचारा जगाने वाला
नववर्ष है आने वाला

दिखा कर नित ख़्वाब नए
नई उम्मीद जगाने वाला
भर कर उड़ान हौसलों की
मंज़िल तक पहुँचाने वाला
नववर्ष है आने वाला

     ✍️ संध्या रामप्रीत ( पुणे, महाराष्ट्र )


   







🦚 नव वर्ष, नव संकल्प 🦚

गुजर चला यह साल भी,
कुछ हर बार की तरह,
कभी अच्छा वक्त... 
तो कभी बुरा वक्त आया, 
पर गुजरता चला गया,
कभी भोर का सुनहरा उजाला,
तो कभी रात की गहनता में,
बीतता चला गया,
कहीं अपनों का संग-साथ मिला,
तो कहीं आवेश में बिखरता चला गया,
कहीं टूटते हौसलों को संबल थमा गया,
तो कहीं कोई अपना हाथ छोड़ गया,
इस कदर यह साल गुजरता चला गया, 
कुछ हर बार की तरह....
करोना काल ने जीवन गति,
मद्धिम सी कर दी,
तो कहीं लोगों ने इस काल में भी,
जान की बाजी लगा दी,
है द्वार पर दस्तक दे रहा नया साल... 
प्रार्थना करती हूँ कि,
सबका जीवन रहे खुशहाल,
नववर्ष जीवन में ले आए बहार,
छोड़ राग, द्वेष... 
हो सबके मन में स्नेह का सागर,
कोई भूखे पेट ना सोए,
जो रिश्ते उधड़ से गए...
उनको सीकर नवरंग फिर भर दे,
नव तेजस भर दे उर में,
आशा का संदेश लिए,
नव विश्वास लिए हिय में,
जनजीवन उल्लास लिए।

                  ✍️ डॉ. ऋतु नागर ( मुंबई, महाराष्ट्र )

बुधवार, दिसंबर 29, 2021

🦚 नववर्ष वर्ष से आशाएं 🦚

 

तम से भरा, पीड़ा लिए घनघोर
वैश्विक महामारी भरा साल एक और
दुख, बीमारी, जनहानि और अवसाद 
पुनः न आए किसी को याद।।

गहन तिमिर उपरांत उजाला
प्रकृति का खेल निराला
संभाले समेटे स्वयं को मानव
आशाओं के नित नव पल्लव।।

मानव मस्तिष्क हार न माने 
नित नई रार वह ठाने
जीने की यही जिजीविषा
प्रदत्त करती नई दिशा।।

अलस भोर की नई किरण
नव जीवन का आमंत्रण
मनुज कमर कस है तैयार
हर रण अब मुझको स्वीकार।।

विषाणु पड़ गया था भारी
मैं हारा टूटा बिखर गया
हर युद्ध हर काल में किन्तु
थपेड़े खा मैं निखर गया।।

तिथियों का बदला जाना
भाग्य का नव ताना बाना
खुशी, हर्ष, इच्छा, अपेक्षा
प्रकृति संग ही रहे सुरक्षा।।

जीवन में मिली सीख नई
अति से सदा दूरी भली
प्राकृतिक जीवन सहज सरल
स्वच्छ वायु जल हो निर्मल।।

नव वर्ष का दैदीप्यमान भास्कर
आशाओं, सफलताओं को देता स्वर।।

          ✍️ डॉ. ज्योति प्रियदर्शिनी श्रीवास्तव ( ग्वालियर, मध्य प्रदेश )

मंगलवार, दिसंबर 28, 2021

🦚 नववर्ष की शुभकामनाएं 🦚

भूचाल-सा बीता साल इक्कीस, झकझोरा जग सारा,
बार-बार आगाह कर चेताया, हुआ गहन अंधियारा।
बिखरे घर, सहमा-सा इंसान, हतबल, हताश, मौन,
लुटे भरे पूरे परिवार, निशब्द खुशी, सुने घर-आंगन।
हौसला न खोया, हिम्मत, धैर्य से बनाये रखी उम्मीद,
खोज ली वैक्सीन, फासले बना घर में खुद हुआ कैद।
मास्क, साबुन, सैनिटाइजर, फासले, बने हथियार,
अंतर्मन में खोज रहा अंधियारे को चीरता उजियार।
लापरवाह मानव समझ गया अपनी परम नादानी,
प्रदूषण मुक्त पर्यावरण प्रतिबद्धता की बात मानी।
उम्मीद की किरणें झिलमिलाई, जगमग आनंदोत्सव छटा,
अंधियार हटा, डर टूटा, महामारी का भय संभवतः मिटा।
नवांकुर-सी आशाएं पल्लवित, उमंग तरंगित, सजा संगीत,
प्राची से लालिमा लिए आयी विहाना उल्लसित।
ड़र के आगे जीत का विश्वास हैं मन में चहका,
हंसी-खुशी, आशा-पुष्पों से नववर्ष स्वागत में जग महका।
नववर्ष के नवरंग, नव संगीत, नव उम्मीद के अद्भुत चितेरे,
परम प्रभु कृपा से कण-कण में आनंद, उल्लास लेगा हिलोरे।
मंगलभावनायें, नववर्ष की अनंत हार्दिक शुभकामनाएं,
सतरंगी सपने, उमंग तरंग, पल्लवित हो नवल आशाएं।

                           ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )






🦚 आगमन नव वर्ष का.... 🦚

नया साल नया दिन
उमंगों के रेले 
तरंगों के हिलोरे
न जाने कितने रंग
न जाने कितने कैनवास
वही कूची वही कलम 
पर पास हैं 
आज कई रंग सब रंग...

लिख डालें एक नई इबादत देखो 
फिर से ये साल नया भाग आया
कहा मुस्कुराकर ऐ इंसान 
तू हर बार है मुझको भाया
बीता वक्त कुछ अजीब था
पर कुछ सबक के लिए लाजमी
ले आया भरकर पोटली खुशियों की......
नये हौसले नये अरमानों की....
डोरी बँधी है नयी आशाओं को लेकर
आशीष दुआओं में फिर नया साल आया है

अब जो आया हूँ मैं ...
इस साल बिखेर दो खूब 
मुस्कुराहट फिजाओं में
मनाओ जश्न कि
मैं इस बार खुलकर आया हूँ..... 
तुम्हें नये रंगों से भरने 
मैं नया वर्ष आया हूँ....

         ✍ प्रीति धुर्वे ( ग्वालियर, मध्य प्रदेश )






सोमवार, दिसंबर 27, 2021

🦚 नव वर्ष है आया 🦚

नव वर्ष है आया
मिलकर प्रेम गीत गाए

सहज सरल मन से
सबको गले लगाए

ऊँच नीच के भेद 
को मिलकर मिटाए

शिक्षा का उजियारा
घर घर मे पहुंचाए

पयार्वरण की रक्षा करें
चारों ओर पेड़ लगाए

स्वच्छता अभियान का पालन 
करें और सभी को समझाए

योग प्राणायाम करें 
सभी को महत्व बताए

कोरोना से सावधान रहें
सभी को नियम बताए

देश प्रेम का जज्बा रखे
देश भक्ति लोगों में जगाए

भारत माँ के चरणों मे
अपना शीश झुकाए

           ✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )







🦚 नये साल की दस्तक 🦚

खोते-पाते, हँसते-गाते,
साल एक फिर बीत गया।
नये साल ने दस्तक दी है,
मन मे उल्लास छाया नया।

जाने वाले लम्हों ने भी,
अनुभव कई समेटे हैं।
मिलन और विरह भावों के,
धागे कई लपटें हैं।
गत वर्ष के कर्तव्य जो,
हमसे, बेपरवाही मे छूट गए।
आने वाले साल उसे भी,
खास जगह उसे बिठलाए।

कुछ अपने सच सपने होंगे,
कुछ बिछुड़े, अपने संग होंगे।
सुख-दुख मे हम साथ रहेंगे,
ऐसी सुखद कामना लेकर,
नये साल ने है ललचाया।

एक दिन का ये उत्सव ना हो,
पूरे साल महोत्सव का हो।
सह असतित्व के भावों में,
भीगा नया साल कुछ ले आया।

ना हिंसा की ओर बढ़े हम,
ना मदिरा की ओर झुके हम।
अभ्युदित रवि के दर्शन कर,
नये साल की ओर बढ़े हम।
ऐसे सरल सहज भावों में,
उत्सव की नव उमंग लिए।

        ✍️ नीति झा ( पटना, बिहार )




🦚 नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक 🦚

छूटे ना पीछे आने वाला इक पल
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

नववर्ष आगमन पर नव संकल्प
क्या किसी ने चुन लिए विकल्प 
आने वाला जब दो हजार बाइस
गत वर्ष की होगी अधूरी ख्वाहिश

अब जबकि वक्त बहुत ही अल्प
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

बदलेगी तारीख दिन यथावत् रहेंगे
जश्न-ए-नववर्ष इसी हालत रहेंगे
वर्ष दिन महीना वहीं ठहर गया था
कोहराम कैसा कि थम शहर गया था

नये साल में लेते कैसे-कैसे संकल्प
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

उस साल, नया साल कैसा विकल
अब जबकि वक्त बहुत ही अल्प
नववर्ष मनाने का ना जायज कारण
मनाने वाले मना ही लेंगे अकारण

हर उत्सव फैलाता क्यूँ है नफ़रत
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

नये साल कुछ इस तरह से आना
खोई खुशियां सबकी ही लौटाना
छीन ना लेना किसी के माँ बाप
बच्चें भला क्या जानेगे पुण्य-पाप

दुआ ! चिरंजीवी हो देश का युवक
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

आओ नववर्ष की आगवानी कर लें
कुछ भेद खोलें बात पुरानी कर लें
आओ मन की सब गिरह खोल लें
जो छिपाए बैठें बरसों से कह सुन लें

संकट कैसा भी ना आए देश पर
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

दिसंबर की रात की वो रात आखिरी
शान्त स्थिर उसका वो पेज आखिरी
दोनों की थी आज ये रात आखिरी
सब रिश्तों का था वो साथ आखिरी

दुखों में परिपूर्णता ही बने सहायक
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

प्रार्थना अंदर के संकटों खातिर
करते रहते हैं सब गरीब-अमीर
जरूरत होगी तो तुम भी करोगे
खुशी के खजाने बहुतायत भरोगे

अपनों का कैसे करें आभार व्यक्त
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक

     ✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )




रविवार, दिसंबर 26, 2021

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन रिश्ता विशेष साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार 'पुनीत रिश्ता स्नेही' सम्मान से सम्मानित।

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा रिश्तों के महत्व तथा विशेषता को दर्शाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन 'रिश्ता विशेष साहित्यिक महोत्सव' का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - रिश्तों की विशेषता' रखा गया। इस महोत्सव में अर्चना वर्मा (क्यूबेक, कनाडा) सहित देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया तथा एक से बढ़कर एक बेहतरीन रिश्तों के महत्व तथा विशेषता पर आधारित रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन 'रिश्ता विशेष साहित्यिक महोत्सव' की शोभा में चार चाँद लगा दिए। इस महोत्सव में कुसुम अशोक सुराणा (मुंबई, महाराष्ट्र), संध्या रामप्रीत (पुणे, महाराष्ट्र) और अर्चना वर्मा (क्यूबेक, कनाडा) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत रिश्ता स्नेही" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने मानव जीवन में रिश्तों के महत्व तथा विशेषता के बारे में बताते हुए, सभी से रिश्तों में पड़ रही दरारों को दूर करके रिश्तों की सुरक्षा एवं संभाल करने की प्रार्थना की। इसके साथ ही उन्होंने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया और रचनाकारों को आने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम अर्चना वर्मा, कुसुम अशोक सुराणा, चंचल जैन, सावित्री मिश्रा, संध्या रामप्रीत, मीता लुनिवाल, सुनीता सोलंकी 'मीना', नीति झा, रचनाकारों के रहे।

शुक्रवार, दिसंबर 24, 2021

🍁 ये कैसा रिश्ता है ? 🍁

हे कान्हा ! मेरी सांसों की डोर 
बंधी है प्रभु तुम्ही से 
है नाता तेरा मेरा सदियों से
सिमरण करूँ तुम्हे दिन रात प्रभु मैं
एक पल कटे ना तुमरे बिन
ये कैसा नाता है कान्हा तेरा-मेरा
ये कैसा रिश्ता है तेरा-मेरा
मैं भक्त तेरी तेरे दर्शन को व्याकुल
कर दो कृपा है जगत के स्वामी
भर दो सबकी झोली खाली
करो उद्धार सभी का
कष्ट मिटाओ जन-जन का
दो सद्धबुध्दि प्राणी जन को
वैर भाव ईष्या, द्वेष मिटाओ
दो हमें सांसारिक मोह से मुक्ति 
अब कष्टों से विराम दो कान्हा
सुन लो मेरी अरज बिहारी

             ✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )





🍁 बुरा तब लगता है 🍁


इस घर मे सब जानते हैं मुझे
ये दीवारें.. जो सुनती हैं
सदा ही मेरी सिसकियां
ये पर्दे...जो अक़्सर ही
दुनियां से छुपा लेते हैं
मेरी रोनी सी सूरत
ये पँखे ...जो हर बार 
सुखा देते हैं अश्कों को
गालों पे गिरने से पहले
ये शॉवर ...जो मुझे
खुल कर रो देने पर अपने 
आग़ोश में समेट लेता है

नहीं जानते हैं... वो लोग
जिनके लिए झोंक देती हूँ ख़ुद को
भूख प्यास भूल कर 
तिल-तिल मरने के लिए
और नहीं जानते हैं वो भी
जिनके लिए रात को रात 
और दिन को दिन नहीं समझती
और वो लोग तो मुझे
बिल्कुल भी नहीं जानते हैं 
जो मेरे आत्मसम्मान को 
बार बार रौंद देते हैं 
अपने क़दमों के नीचे
कहाँ जानते हैं वो लोग मुझे
जो रिश्ते मिले हैं तुम्हारी वजह से
मगर बुरा नही लगता

बुरा तब लगता है 
जब तुम मुझे नही जानते हो 
जब तुम नही समझते हो मुझे
तब सोचती हूँ तुम्हारी एक आवाज़ पर 
क्यूँ भागी आती हूँ ...क्यूँ नहीं तलाशी मैं
ख़ुद के वजूद को ..क्यूँ नहीं....
शायद .......

            ✍️ संध्या रामप्रीत ( पुणे, महाराष्ट्र )



गुरुवार, दिसंबर 23, 2021

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन राष्ट्रीय गणित दिवस साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा राष्ट्रीय गणित दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय गणित दिवस साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - गणित का महत्व' रखा गया। इस महोत्सव में अर्चना वर्मा (क्यूबेक, कनाडा) सहित देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया तथा एक से बढ़कर एक बेहतरीन गणित के महत्व, विशेषता तथा आदरणीय श्रीनिवास रामानुजन के जीवन पर आधारित रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन राष्ट्रीय गणित दिवस साहित्यिक महोत्सव में चार चाँद लगा दिए। इस महोत्सव में चंचल जैन (मुंबई, महाराष्ट्र), सुनीता सोलंकी 'मीना' (मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश) और नीति झा (पटना, बिहार) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत साहित्य किरण" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने आदरणीय श्रीनिवास रामानुजन को कोटि-कोटि नमन करते हुए लोगों को उनकी विलक्षण गणित की प्रतिभा तथा शानदार उपलब्धियों के बारे में बताया और बच्चों को उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही उन्होंने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया और रचनाकारों को आने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम सुनीता सोलंकी 'मीना', कुसुम अशोक सुराणा, चंचल जैन, सावित्री मिश्रा, संध्या रामप्रीत, अर्चना वर्मा, नीति झा, मीता लुनिवाल रचनाकारों के रहे।




बुधवार, दिसंबर 22, 2021

🍁 महत्व शून्य का 🍁

  

गणित में शून्य का
होता है महत्व बड़ा
ये अकेला हो तो इसका 
कोई भी मोल न होता है

लगें जो ये किसी 
अंक के पश्चात
तो ये बड़ा उसे 
बना देता है

गर लग जाये पहले तो
फ़िर उस अंक की
कीमत को ये 
कम कर देता है 

बदले है अब तक 
अंदाज़ हर अंक के
लिखनें के तरीकों का
ये था गोल ये गोल ही रहा है

तभी तो गणित में ये 
रखता स्थान अनोखा है
जीवन मे गर आ जाए शून्य
तो फिर कुछ भी शेष न रहता है।।
    
              ✍️ संध्या रामप्रीत ( पुणे, महाराष्ट्र )





🍁 गणित का जादू 🍁

जब चलता है गणित का जादू
हो जाती छुट्टी अच्छे-अच्छो की
जोड़, घटा, गुणा, भाग करते धमाल
थोड़ा भी कच्चा हो गणित में कोई 
सब चौकड़ी भूल जाए 
अंकगणित हो या बीजगणित 
सबके समझ ना आ पाये 
रेखागणित में कोई-कोई मात है खा जाए 
स्केल, चाँदे से कोण के जगह दिन में
ही चाँद-तारे नजर आ जाए
गणित नही इतनी आसान
जितनी नजर आए 
पहाड़ों के पहाड़ हर कोई
आसानी से चढ़ न पाए 
शून्य में बैठा शून्य का महत्व
ना सरलता से समझ पाए 
आगे पीछे लगे शून्य तो 
संख्या में बड़ा अंतर आ जाए
गणित का जादू सीख लो 
बाद में कहीं पछताना ना पड़ जाए

          ✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )




सोमवार, दिसंबर 20, 2021

🍁 श्रीनिवास रामानुजन महान 🍁

गणित जिनसे घबराता था वें थे ऐसे शिक्षक
गणित सीखने को न लिया विशेष प्रशिक्षण 

22 दिसम्बर राष्ट्रीय गणित दिवस
रामानुजन का होता है जन्म दिवस
राष्ट्रीय गणितज्ञ के रूप में पहचान 
दिन छोटा होता, लम्बी रात मचान

इतनी उपलब्धि प्रतिभा उनमें विलक्षण 
गणित सीखने को न लिया विशेष प्रशिक्षण 

मैथ्स से दुनियां अक्सर डरती थी
वो उनकी जेब में रहा करती थी
वर्ष 12वें में ट्रिगनोमेट्री में महारत ली
वर्ष 17वें में जटिल रिसर्च पूरी की थी

पूत के पांव पालने में दिखते हैं लक्षण
गणित सीखने को न लिया विशेष प्रशिक्षण 

श्रीनिवास रामानुजन गणितविद महान 
खुद के गणितीय निष्कर्ष को न दिया प्रमाण
दूसरों के निष्कर्ष को मान्यता किया मान
रामानुजन की जयंती उन्हें कोटिशः प्रणाम 

ज्ञानी विद्वान जन को नही कुछ भी धन
गणित सीखने को न लिया विशेष प्रशिक्षण

गणितीय विश्लेषण और थ्योरी समाधान
उनका रहा था राष्ट्र को विशेष योगदान
वो विख्यात गणितज्ञ थे श्री रामानुजन 
ऐसे सर को सलाम ऐसे सर को नमन

जोड़ गुणा घटा दांये से, भाग बांये से जाण
गणित सीखने को न लिया विशेष प्रशिक्षण

✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )


🍁 तेजस तारा 🍁

"गणितज्ञों के गणितज्ञ" तेजस तारा जहान,
 प्रतिभा के धनी, श्रीनिवास रामानुजन जी महान।
संख्या, सांख्यिकी, सिद्धांत, प्रमेय श्रेष्ठ शोध सृजन
अंकों के कुशाग्र जादूगर, हमारा शत शत नमन।
शोध नित नए, जोड़-तोड़ गणित के आविष्कार,
मानवजाति पर आपने किया हैं अनंत उपकार।
सागर की गहराई  छूती, नभ का अंतर भेदती,
ज्ञान गणितगंगा आगे आगे निरंतर बहती।
ज्ञानी प्रबुद्ध जन करे गौरव ज्ञान गुणगान,
भारत माता के सुपुत्र थे, हो गणितज्ञ महान।
प्रमेय, सिद्धातों के विलक्षण ज्ञानी सृजनकार,
कल्याणकारी संकल्पनायें आपसे ही साकार।
छोटा-सा जीवन, गौरवशाली गरिमामयी व्यक्तित्व,
ज्ञान सागर से भरी गागर-सा अद्भुत, विराट कृतित्व।
समस्त जगत आपका सदैव अतिशय आभारी रहेगा,
भारत माता के सुपुत्र, आपका जयकारा नित गूंजेगा।
प्रगति विकास पथ, राह प्रशस्त, किया दीप उजियार,
नमन गुणवंत, सादर वंदन,  युग-युग तक होगा झंकार।

                           ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )



🍁 गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन 🍁

मां भारती के भाल पर कर गए चंदन तिलक।
मिट्टी के दीये से रोशन कर गए विश्व फलक।
गुदड़ी का लाल रामानुजन, गणित का बना जादूगर।
प्रमेय, सूत्र, सांख्यिकी के रहस्यों को कर उजागर।
प्रतिभा का धनी श्रीनिवास, करने लगा विदेशो में वास।
हीरे का पारखी परदेशी हार्डी, तराशने का करे प्रयास।
ब्रह्मांड के रहस्यों से अनभिज्ञ, आध्यात्म का अक्षुण्ण दास।
अपनी नोटबुक में लिख गया पहेली से सूत्र गणितज्ञ श्रीनिवास।

लक्ष्य के प्रति एकाग्रता-विश्वास-लगन, सफलता का प्रमाण।
अवरोधकों को पार कर, पहुंचा अर्जुन सा करने संधान।
अद्भुत प्रतिभा का धनी, निर्धन, किशोर, श्रीनिवास रामानुजन।
गुलामी के अंधियारों में, वसुंधरा को किया दैदीप्यमान।

               ✍️ कुसुम अशोक सुराणा ( मुंबई, महाराष्ट्र )

🍁 गणित 🍁

जिसकी उपयोगिता हर पल बनी है,
वो है गणित।
रोजमर्रा का हिसाब, किताब है गणित,
धरती आकाश की दूरी माप जाती है गणित।
ज्ञान विज्ञान, रासायन हो या कंप्यूटर,
सबकी नींव है गणित।
पल-पल मिनट पहर, दिन रात साल शतक;
सबको बिन संशय, सहेजे हैं गणित।

इसके बिना दिन अधूरा रात ना पूरी,
सूर्य चाँद की ना पाऐं दूरी।
उपयोगिता बनी थी, बनी है,
और रहेगी, हाँ ! जी गणित।
व्यापार जगत की रीढ़ है गणित।

जीव जगत की बीज गणित।
सांकेतिक भाषा मे क्रमबद्द ये जुड़े,
गुण की गुणा करे गणित।
सुख भावों को कई भागों मे,
बाँट खुशी दे जाए गणित।

लघु जीवन के महत्तम को,
रेखांकित कर जाए गणित।
प्रति दिन के उलझन को सुलझा,
जाए अंक गणित।

विस्तरित समस्या के घेरों को,
सूत्रों मे बाँधे बीज गणित।
रेखाओं से घिर-घिरकर,
बनती हैं रेखागणित।
जीवन के हर क्षेत्र मे घूमे,
बन बैठा है सबका मीत।

  ✍️ नीति झा ( पटना, बिहार )



🍁 आदरणीय श्रीनिवास रामानुजन 🍁

छोटे उम्र से ही श्रीनिवास रामानुजन जी को,
गणित की लगी लगन,
आने वाली हर परेशानी को झेलते वह, पर हार नहीं माने,गणित के प्रति अपने प्यार को कम नही होने दिया, 
गणित की दुनियां में वो हर पल खोये रहते थे
गणि ही चिंतन
गणित छोड़ कुछ नही भाता था
कठिन से कठिन प्रश्न खेल-खेल से चुटकी में हल कर देते थे।।

विधा की देवी माँ सरस्वती, और गणित किताब को वो पूजते थे,

वो माँ धन्य है जो इन ज्ञानदीप रत्न को जन्म दी

गणित में ही उनकी खोजगणित ही साधना, गणित ही जीवन जीने का उद्देश्य

जिनके लाल ने देश-विदेश गणित का परचम फहराया।।


हम देश वासी है गौरवान्वित गौरवशाली गणित दिवस पर

गणित इतिहास में देश के नये प्रतिभा लाल का आगमन हुआ

उदयमान की छटा दे सब मन ही मन उत्साहित और 

हर्षित थे

विश्व में यह अति सुंदर पल बनकर आया था,

जिज्ञासा से भरी चमकती आखें एक अलग ही पहचान देती थी, 

अपने दोस्तों बीच व्यवहार इतना सौम्य था,

कि कोई इनसे नाराज हो ही नहीं पाता था।।


गणित के प्रति उनका अथाह सागर,

जैसे प्रेम इतना बढ़ गया था

कि वे अपना जीवन गणित के ओर कदम बढ़ाते गए,

अपने प्रतिभा और लगन से उन्होंने गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए

देश को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किए

अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुए, 

और लोगों में चर्चि रहे,

गणित क्षेत्र में उनके तुल्य योगदान से सभी थे प्रभावित,

गणित मस्तिष्क को तरोताज़ा रखता है।।


                  ✍️ अर्चना वर्मा ( क्यूबेक, कनाडा )



पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...