रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
शनिवार, सितंबर 30, 2023
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतिभा प्रोत्साहन कार्यक्रम के प्रतिभागी सम्मानित।
🍁 परदेस 🍁
सोचते है कर सकेंगे तय अकेले क्या सफर
यूँ भटकने से तो बेहतर है कि घर को लौट लें।
है गली अन्जान सड़कें अजनबी बेगाने लोग,
एक मुट्ठी प्रेम की सौगात क्या मिल जाएगी।
हर तरफ है अजनबी सी बोलियाँ चेहरे नये,
किस तरह से प्रेम की नाजुक कली खिल पाएगी।
दे नही पाई है कोई दाँव परदेसी डगर।
यूँ भटकने से तो बेहतर है कि घर को लौट लें।
पाँव नंगे घूमते फिरते थे किस-किस गाँव में,
आ रही हैं याद हमको आज वह गलियाँ सभी।
फाँदते दीवार छज्जे कूदते थे किस तरह,
खेलने की उम्र जो न खत्म होती थी कभी।
चन्द दिन में चुलबुली से हो गई बूढ़ी उमर,
यूँ भटकने से तो बेहतर है कि घर को लौट लें।
✍️ डॉ० सुजाता 'वीरेश' यादव ( मैनपुरी, उत्तर प्रदेश )
गुरुवार, सितंबर 21, 2023
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन हिंदी विशेष सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा हिंदी भाषा के महत्व तथा विशेषता को दर्शाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन हिंदी विशेष सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें रचनाकारों को 'हिंदी है विशेष' विषय सहित दस अलग-अलग विषयों के विकल्प देकर उनमें से किन्हीं दो विषयों का चयन करके चयनित विषयों पर आधारित रचनाएं लिखने के लिए कहा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषयों पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर हिंदी भाषा के महत्व तथा विशेषता को बहुत ही बेहतरीन ढंग से दर्शाया और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत साहित्य रत्न' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ग्रुप के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने हिंदी भाषा को नमन करते हुए महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया और सम्मान पाने वाली सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को ग्रुप द्वारा आयोजित होने वाले भिन्न-भिन्न ऑनलाइन कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके ग्रुप की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम रजनी वर्मा, सीमा मोटवानी, करिश्मा नरेंद्र मल रचनाकारों के रहे।
मंगलवार, सितंबर 19, 2023
🍁 प्रीत 🍁
मन के हारे हार है
मन के जीते जीत
मन में प्रेम की तस्वीर बनाकर
जग से कर ले प्रीत।
अच्छी-अच्छी तस्वीरें
संभाल सके तो संभाल
दुख भरी तस्वीर को
हमेशा के लिए मिटा
स्वयं से कर ले प्रीत।
जीवन सुख-दुख का मेला
कोई नही इससे अछूता
दुख को भूलकर
सुख से कर ले प्रीत।
यह जीवन अनमोल है
दोबारा ना मिलेगा
कर्म ऐसे कर ले
जग से कर ले प्रीत।
अगर जो सोचा पूरा होता नही
ना हो तू इतना उदास
अगर ईश्वर पर अटूट विश्वास
अपने विश्वास से कर ले प्रीत।
किसी से इतनी घृणा न कर
देख सके ना उसके गुण
घृणा कर-कर टूट रहा
नही कर पा रहा तू खुद से प्रीत।
✍️ रजनी वर्मा ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )
🌻 तू जीता जा....🌻
जीवन एक संघर्ष है,
इसे खेल मत समझ।
बस तू जीता जा.......
कर उपकार लेकिन,
उसे गिनवा मत।
बस तू जीता जा......
बीज बोए जा,
फल की इच्छा मत कर।
बस तू जीता जा.......
रिश्ता बनाएं रख हर किसी से,
पर कोई उम्मीद ना रख किसी से।
बस तू जीता जा......
खाली हाथ आया हैं खाली हाथ जायेगा,
इसलिए लालच ना कर किसी चीज का।
बस तू जीता जा......
अकेला आया है अकेला जायेगा,
वादा ना कर जिंदगी भर साथ निभाने का।
बस तू जीता जा.......
✍️ करिश्मा नरेंद्र मल ( गढ़चिरौली, महाराष्ट्र )
💞 अंतर्मन छूती कविताएं 💞
जिनके हिस्से प्रेम नही आता
उनके हिस्से आती हैं कविताएं
वो सिसकती प्रेम गुहार लगाती
वैरागी कविताएं, छूती अंतर्मन
और सुनती अर्धरात्रि की चुप्पी
जो पार करती अम्बर
खो कहीं जाती गाहे-बेगाहे
हठी भी हो जाती कविताएं
और उन्मुक्त आलिंगन करती
उस अंतिम सिरे का
जिसे प्रेम सीमित करता
मर्यादित बंधनों से
कविताएं सहेज लेती हैं
प्रेम को एकाधिकार भाव से
इसलिए जिनके हिस्से प्रेम नही आता
उनके हिस्से आती हैं कविताएं….
✍️ सीमा मोटवानी ( अयोध्या, उत्तर प्रदेश )
सोमवार, सितंबर 18, 2023
🏵️ हिंदी है विशेष 🏵️
हिंदी है विशेष
हर भारतीय का अभिमान है
गौरव है, गुरूर है
धड़कन है, भारत माता के हृदय की
भारत माता के माथे की बिंदी है
शोभा भारत की बढ़ाती है
तभी तो लेखक-कवि कहते है
हिंदी है विशेष
शब्दों में एक बिंदी लगाने से
शब्दों का अर्थ बदल देती
हिंदी में कोई छुपा शब्द नही
जो होता है सामने दिखता
यह हिंदी में ही संभव है
आधे अक्षर को जब सहारा
पूर्ण अक्षर का मिलता
शब्द का मान बढ़ जाता
हिंदी है विशेष
जैसा बोलो वैसा लिखो
भाव अपना बताती है
अनगिनत शब्दों का भंडार
अपने में समेटे है
हिंदी है विशेष
हिंदी की वर्णमाला की
तो बात ही ना पूछिए
अ से शुरू होकर ज्ञ पर समाप्त होती है
अनपढ़ को ज्ञानी बनाकर छोड़ती है
जिसने वर्णमाला से नाता जोड़ा
उसने ज्ञानी स्वयं को बना लिया
✍️ रजनी वर्मा ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )
शुक्रवार, सितंबर 15, 2023
💞 सच्चा प्रेम 💞
ढाई आखर प्रेम को
जो न समझ पाया
जीवन उसका व्यर्थ है
ज्ञानी हो वह चाहे कितना
प्रेम या प्यार एक ऐसा एहसास है
जिनका नाता होता दिल से
जब करते एक दूजे पर
अपनी खुशियाँ न्योछावर
तब पनपता सच्चा प्रेम।
सच्चे प्रेम में मिट जाता हर स्वार्थ
काम, क्रोध, लोभ, अहंकार का
नही होता सच्चे प्रेम में स्थान
प्रेम के हैं रूप अनेक
सबकी है अपनी पहचान
बच्चों के प्रति माता-पिता का प्रेम
तो माता-पिता के प्रति बच्चों का प्रेम
भाई-बहन का स्नेह तो मित्र का प्रेम
सभी से मिलता अपनेपन का एहसास।
प्रेम से ही होती श्रृंगार रस की उत्पत्ति
ईश्वर की भक्ति भी है प्रेम की कड़ी
प्रेम की परिभाषा है बहुत विस्तृत
इसे निश्चित सीमा में बाँध पाना है कठिन
मैं प्रेम करती हर उन चीजों से
जिसे मैंने पाया या खोया है
मुझे प्रेम है उन समस्त वस्तुओं से
जो मुझे देते जीवन में सीख।
अंधकार से भी है मुझे प्रेम
जिसने उजाले का महत्व बतलाया
मुझे प्रेम है मातृभूमि-मातृभाषा से
जो हमारी पहचान बनाती
जिसे सच्चे प्रेम की न होती पहचान
उन्हें जीवन में धोखा ही मिलता
प्रेम तो यहाँ हर किसी ने किया
फिर भी कितना फर्क रहा
किसी को रुलाया तो किसी को हँसाया
किसी के प्रेम ने तो इतिहास रच डाला।।
✍️ पूनम लता ( धनबाद, झारखंड )
🍁 हिंदी 🍁
यूँ तो हिन्दुस्तान के
हर राज्य की अपनी भाषा है
परंतु फिर भी पूरे हिन्दुस्तान में
हिंदी भाषा का ही प्रयोग होता है
तभी तो आज हिंदी भाषा
हिन्दुस्तान की भाषा कहलाती है
हिन्दुस्तान के जन-जन को
हिंदी भाषा का ज्ञान है।
पूरे हिन्दुस्तान में
हिंदी का विशेष महत्व है
हिंदी अपने आप में
एक अलग ही भाषा है
जिसमें कई ऐसे शब्द छिपे हैं
जिनका दूसरी भाषा में अनुवाद
नही किया जा सकता
हिंदी भाषा को किसी और भाषा के
आधार की जरूरत नही है।
हिंदी में अपनापन है, स्नेह है
ममता है, प्यार है, आदर है
बड़ों का सम्मान और
छोटो का लिहाज छिपा हुआ है
हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है
जो बोलने के साथ-साथ
समझने में भी सरल है।
✍️ करिश्मा नरेंद्र मल ( गढ़चिरौली, महाराष्ट्र )
गुरुवार, सितंबर 14, 2023
⛲ बारिश की फुहार ⛲
रिमझिम आई बारिश की फुहार,
लेकर प्रकृति में नई बहार।
बारिश हैं ऋतुओं की रानी,
चारों तरफ हुआ पानी-पानी।
तेज गर्मी देखो हुई फरार,
सभी ओर हरियाली पसार।
मोर, पपीहा सब करे धमाल,
इन्हें रोकने की किसकी मजाल।
धरा कर रही हैं नया श्रृंगार,
सबकी नजरें रही उसे निहार।
नभ में काले बादल छाए,
कोयल मीठे गीत सुनाए।
रिमझिम आई बारिश की फुहार,
लेकर प्रकृति में नई बहार।
✍️ करिश्मा नरेंद्र मल ( गढ़चिरौली, महाराष्ट्र )
⏲️ वक्त के साथ ⏲️
अधूरी ख्वाहिशों की दीवानी है
इन धड़कनों में तेज रवानी है।
सुख की छाँव या गम की धूप
हर हाल में हमें तो निभानी है।
वक्त के साथ चल दिये तो लगा
जिन्दगी कुछ जानी पहचानी है।
करीब होकर भी दूरियाँ दरमियां
बात छोटी पर आँखों में पानी है।
जिम्मेदारियां कह रही रहने दे
मन में पर बाकी थोड़ी नादानी है।
बुला रही आवाज़ की गूंज नई
लगता है जैसे दस्तक पुरानी है।
बेपरवाह ये ज़माने भर से रही
सबसे जुदा 'तेरी मेरी कहानी' है।
मुक़म्मल कभी होगा ये किस्सा या
बेमतलब हो 'आस' किसने जानी है।
✍️ शैली भागवत 'आस' ( इंदौर, मध्य प्रदेश )
बुधवार, सितंबर 13, 2023
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतिभा अलंकरण महोत्सव के प्रतिभागी सम्मानित।
मंगलवार, सितंबर 12, 2023
💞 एक करवट के ख्वाब 💞
मैं समेट तो रही हूँ
घर का हर एक कोना
अपने ज़ेहन में पर....
कैसे खोलूं उन अलसायी आंखों को
जो सुबह की गोद से
उठती थी करवटें लेकर
या फिर कैसे बड़ा कर दूँ
वो नन्हा बचपन जिसके हाथों में
जाने कितने खिलौने थे
वो खिलौने अब भी तकते हैं
मुझे अलमारी की ओट से
मेरे शीशे वाली दीवार पर भी
रह जायेंगी कुछ बिंदियां
जो मेरे माथे पर सजाकर
उस पर सजा दी थी मैंने
हां कुछ भारी सामान भी है
जो हिला भी नही
अपनी जगह से कभी
अब क्या उसको दर्द होगा
उस जगह से बिछड़ने का
या वो छोड़ देगा
अपनी निशानी वहीं उसी जगह पर
एक करवट के मेरे सारे ख़्वाब भी
तो वहीं पड़े रह जाएंगे
जिनके इर्द-गिर्द मैंने ही
तो दुनियां बसायी थी
वो सब लम्हें भी तो वहीं रह जाएंगे
जिनको जी लिया था गले लगा कर
घर की घुमावदार सीढ़ी पर या उस ऊंचाई पर
जिस पर नज़रे टकटकी लगा कर देखती थी
वो नन्हा बचपन, वो बिंदियां
वो अलसायी सुबहें, वो अनछुए ख्वाब
वो बेशकीमती लम्हें
सब चीख कर शिकायतें कर रहे मुझसे
कि क्या-क्या छोड़ कर जाओगी अब
मैं चुप, स्थिर रह समेट तो रही हूँ
घर का हर कोना अपने ज़ेहन में पर ..........
✍️ सीमा मोटवानी ( अयोध्या, उत्तर प्रदेश )
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...