रविवार, अप्रैल 30, 2023

🏆 पर्यावरण संरक्षण 🏆









जल वायु धरती शब्द सुनो,

इन शब्दों का सही अर्थ चुनो।

जंगल में मंगल चाहो तो,

संरक्षण का तुम नाम चुनो।।


जब पानी हरदम स्वच्छ रहे,

निर्मल यह वातावरण रहे।

कचरा न बहे यदि पानी में,

रोग आए नही जिंदगानी में।।


मिट्टी में सोना निपजेगा,

जब क्षरण इसका मिट जायेगा।

मानव मानवता के नाते,

जब इसमें जीवन समझेगा।।


वायु का प्रदूषण भारी है,

व्यवसायीकरण भी खुमारी है।

वायु में धुंए का मिश्रण,

प्रदूषित करता वातावरण।।


नित नए नए रोगों ने भी,

नर तन पर डेरा डाला है।

प्रदूषित होगा पर्यावरण,

पहनाई दूषित माला हैं।।


जैविक अजैविक सभी तत्व,

करते प्रभावित जीवन को।

हम रहे स्वच्छ सहेजे वृक्ष,

खुशियां बांटे मानव मन को।।


करके संरक्षण इन सबका,

करनी सुरक्षित काया है।

धरती पर जीवन जीने का,

उपहार अनोखा पाया है।।


इन सब से मुक्ति पाने का,

वादा खुद से करना होगा।

जल वायु मृदा संरक्षण से,

यह पर्यावरण शुद्ध होगा।। 


✍️ ज्योति चौपड़ा ( झालावाड़, राजस्थान )

शुक्रवार, अप्रैल 28, 2023

🏆 अतीत‌ 🏆








देखो न !

अब सब छूट रहा है

और मैं गहरी जुड़ रही हूँ

उन सारी घटनाओं से जो

पोषित हुई थी हमारे प्रेम से

परस्पर विरोधी हैं भाव मेरे

मैं मुक्त होना चाहती हूँ

आलिंगन किए हुए क्षणों से

पर मैं जड़ो सी धस रही

अतीत की गोद मे

न न प्रिय !

मैं किंचित दु:खी नही

क्योंकि जीवन तो जल

सा हैं न !

और दूषित हो जाता है 

ठहरा हुआ पानी....

मुझे नही रुकना उस

वृक्ष की छांव में जो

कोरी कल्पना मात्र है

मुझे स्वयं को वहाँ छोड़ 

छू कर वो सदियां फिर

निकल आना है नई राह पर


✍️ सीमा मोटवानी ( अयोध्या, उत्तर प्रदेश )

गुरुवार, अप्रैल 20, 2023

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन महिला कलाकार प्रशस्ति कार्यक्रम की प्रतिभागी कलाकार शख्सियतें सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा महिला कलाकार शख्सियतों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ऑनलाइन महिला कलाकार प्रशस्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें नृत्य, गायन, संगीत, काॅमेडी, अभिनय, कुकिंग, पेंटिंग, योग, काव्य पाठ, मेकअप, कैट वॉक सहित विडियो रूप में प्रस्तुत की जा सकने वाली किसी भी कला की जानकार या‌ कला में माहिर महिला कलाकार शख्सियतों को अपनी कला विडियो रूप में मंच पर प्रदर्शित करने का सुनहरा अवसर दिया गया। इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राज्यों की महिला कलाकार शख्सियतों ने भाग लिया। जिन्होंने भिन्न-भिन्न कलाओं में से अपनी इच्छा से एक कला का चयन करके चयनित कला में एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रस्तुतियां देकर कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा दिए और कार्यक्रम को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस कार्यक्रम में रंजीता अवस्थी (शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश), इन्द्रा तिवारी 'इन्दु' (नैनीताल, उत्तराखंड) और रीतु जाजु (जोधपुर, राजस्थान) द्वारा प्रदर्शित की गई कला प्रतिभा ने ग्रुप का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। कार्यक्रम में सम्मिलित प्रतिभागी कलाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत कला रत्न' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ग्रुप के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने कार्यक्रम में प्रदर्शित की गई कला प्रतिभा पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर कलाकार शख्सियतों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया तथा सम्मान पाने वाली प्रतिभागी कलाकार शख्सियतों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने ग्रुप द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन‌ कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया।

मंगलवार, अप्रैल 18, 2023

💞 प्यारा सा रिश्ता 💞










प्यारा सा है ये रिश्ता 

अनकही बात सुनने का

हर घड़ी साथ चलने का

कभी रूठने का

कभी मनाने का 

कुछ ना कहते हुए भी

सब कुछ कह जाने का


प्यारा सा है ये रिश्ता 

छोटी सी बगिया महकाने का

एक दूजे के खातिर

सब कुछ कर जाने का

समय के साथ धीरे-धीरे 

सिर्फ अपना कहलाने का


प्यारा सा है ये रिश्ता 

हर गम को जीने का 

हर जशन को मनाने का

एक दूजे के बिना 

कुछ भी ना कर पाने का

प्यारा सा है ये रिश्ता 


✍️ रितु जाजु ( जोधपुर, राजस्थान )

👰 बेटियां, घर जन्नत बनाती है 👰









तन फूलों सा कोमल है,

दिल में फौलाद रखती हैं।

तन से‌ अबला लगती है, 

मन से मजबूत बनती है।

वो नारी है अरे जानो,

उसे अबला नही मानो। 

वो ससुराल और पीहर,

जहां आबाद करती है।


ना कहना उसे बेबस,

सबको बस में लाती है। 

गागर ममता की है वो,

पत्थर भी तोड़ सकती है। 

वो नारी है अरे जानो,

उसे बेबस नही मानो।

वो चाहे तो नदिया की धारा,

भी मोड़ सकती है।


दिखती है गुलाब जैसी,

जुबां कांटेदार भी रखती है। 

जन्म का दर्द सहती है,

सरहद पर पहरा करती है।

नारी को काम में कभी,

नर से कम नही जानो।

बेटियां होती है जिस घर, 

वो जन्नत कहलाती है।


✍️ इन्द्रा तिवारी 'इन्दु' ( नैनीताल, उत्तराखंड )

शनिवार, अप्रैल 08, 2023

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन रचना बहार साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा ऑनलाइन रचना बहार साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें रचनाकारों को दस अलग-अलग विषयों के विकल्प देकर उसमें से किसी एक विषय का चयन करके चयनित विषय पर आधारित रचना लिखने के लिए कहा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकार ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषयों पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में मधु श्रीवास्तव ( प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ) और कविता कोठारी ( कोलकाता, पश्चिम बंगाल ) की रचनाओं ने समूह का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। महोत्सव में सम्मिलित प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत श्रेष्ठ रचनाकार' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया तथा सम्मान पाने वाली प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन‌ कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया।

रविवार, अप्रैल 02, 2023

🐦 रिश्ते 🐦










रिश्ते हमारे 

सुख दुख के

साथी होते हैं

गर नींव हो 

इनकी विश्वास

और अपनेपन की 

तो ही ये

टिकाऊ होते हैं

कोई रिश्ता

खून का ना होते हुए भी 

अपना सा लगता है

और कोई अपना खून

होते हुए भी गैर से लगता है

परस्पर समर्पण और सहयोग की

भावना ही रिश्तों को बांधे रखती है

रिश्ता चाहे मां-बेटी का हो

पिता-पुत्र का हो

पति-पत्नी का हो

या हो दोस्ती का

सब्र और त्याग से 

इन्हें परिपक्व बनाना पड़ता है 

होती है कुछ मर्यादा

हर रिश्ते की अपनी-अपनी 

जो टूटी मर्यादा

तो फिर रिश्ता

कहां रह जाता है

आसान नही होता है

इन रिश्तों को जी पाना

टूट कर बिखरना

पड़ता है इनको 

सहेजने के लिए

कुछ रिश्ते

काँच से चुभते हैं हर पल

और कुछ ज़ख्म में

मरहम बन जाते हैं


✍️ मधु श्रीवास्तव ( प्रयागराज, उत्तर प्रदेश )

🐦 सोच ही जीवन का आधार है 🐦










हमारा व्यक्तित्व 

हमारी सोच का परिचायक है

अनगिनत, अपरिमित विचार

कुछ सार्थक, अधिकतर निरर्थक

हमारे मन मस्तिष्क को करते हैं प्लावित

ये अज्ञात और अनायास नही 

जो स्वतः ही करते आवागमन

ज्ञात और सायास हैं 

क्योंकि प्रत्येक सोच के नियंता हम स्वयं है

हमारी सोच ही हमारे जीवन का आधार है

हमारे हर संकल्प से परिचालित  

हमारे वचन और व्यवहार हैं


निरर्थक सोच से रहते जब आक्रांत 

मन रहता सदा अशांत और क्लांत

ये करती हमारी शक्तियों का ह्रास

हो ना पाता क्षमताओं का विकास

नकारात्मक सोच 

अमंगल भावनाओं को देती जन्म

सकारात्मक सोच किया करती है सृजन

परचिंतन को ना देकर प्रश्रय  

आत्म चिंतन का लेकर आश्रय

आओ‌ ! हम सोच कर बोले ही नही

अपितु सोचकर सोचें भी


✍️ कविता कोठारी ( कोलकाता, पश्चिम बंगाल )

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...