बुधवार, मई 31, 2023

🏆अपूर्ण प्रेम🏆









बस अम्बर भर दूरी है

तुम्हारी रातों से

मेरी सुबह के बीच

मेरे चाँद का एक हिस्सा

तुम्हारे भी आंगन में उतरता हैं ना 

या रोक लेते हो खुद को तुम

श्वेत किरणों का होने से

 

सच कहो 

क्या चाँद ने तुमसे कभी 

कुछ नही कहा

नही बताया तुम्हें कि

प्रेम के सारे द्वार 

उसी ने तो खोले थे

बैठा अपने बिछोने पर

नयन में ख़्वाब घोले थे

 

क्या सच में चाँद ने 

तुमसे नही कहा कि

ये जो चुप्पी रह गई

अधरों के बीच

शब्द दौड़े बहुत

बिन समझे प्रेम की रीत

बिछोह और मौन का

गहरा ही नाता है

प्रेम कब किसका

पूर्ण हो पाता है।


✍️ सीमा मोटवानी ( अयोध्या, उत्तर प्रदेश )

सोमवार, मई 29, 2023

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन अनुपम कला महोत्सव की प्रतिभागी कलाकार शख्सियतें सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा कलाकारों को अपनी कला प्रतिभा लोगों के समक्ष प्रदर्शित करने का अवसर देने के उद्देश्य से ऑनलाइन 'अनुपम कला महोत्सव' का आयोजन किया गया। जिसमें नृत्य, गायन, संगीत, काॅमेडी, अभिनय, कुकिंग, पेंटिंग, योग, काव्य पाठ सहित विडियो रूप में प्रस्तुत की जा सकने वाली किसी भी कला के जानकार या‌ कला में माहिर कलाकारों को अपनी कला विडियो रूप में प्रदर्शित करने का सुनहरा अवसर दिया गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के कलाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दी गई भिन्न-भिन्न कलाओं में से अपनी इच्छा से एक कला का चयन करके चयनित कला में एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रस्तुतियां देकर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में कविता कोठारी ( कोलकाता, पश्चिम बंगाल ), रंजीता अवस्थी ( शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश ) और रानी रागनी सिन्हा ( नालंदा, बिहार ) द्वारा प्रदर्शित की गई कला प्रतिभा ने ग्रुप का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। महोत्सव में सम्मिलित विशिष्ट कलाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत कला ज्योति' सम्मान देकर सम्मानित किया गया और ग्रुप से जुड़ी नवीन कलाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत प्रतिभा' प्रशस्ति पत्र प्रदान करके उनका उत्साह बढ़ाया गया। इस अवसर पर ग्रुप के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने महोत्सव में प्रदर्शित की गई भिन्न-भिन्न कला प्रतिभाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर कलाकार शख्सियतों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया तथा प्रतिभागी कलाकार शख्सियतों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को ग्रुप द्वारा आयोजित होने वाले भिन्न-भिन्न ऑनलाइन‌ कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया।

शुक्रवार, मई 26, 2023

⛲ यादों के समंदर ⛲









मैंनें तेरी यादों के कई समंदर पार किये, 

कुछ तूफानी से, कुछ उफानी से

कुछ बर्फानी से, कुछ मनमानी से 

कुछ इम्तेहानी से, तो कुछ विरानी से

हां...

मैंनें तेरी यादों के कई समंदर पार किये। 


कुछ सिमटे से, कुछ बिखरे से 

कुछ बेपरवाह से, कुछ बेपनाह से 

कुछ उजले से, तो कुछ मटमैले से

सच में...

मैंनें तेरी यादों के कई समंदर पार किये। 


कुछ गहरे से, कुछ सतही से

कुछ रंगीले से, कुछ चुभीले से

कुछ भड़कीले से, तो कुछ शर्मीले से

मैंनें तेरी यादों के कई समंदर पार किये।

हां ...

मैंनें तेरी यादों के कई समंदर पार किये।


✍️ हरमिंदर कौर ( जालंधर, पंजाब )

गुरुवार, मई 25, 2023

👩‍🎓 बेटी 👩‍🎓









वह भी क्या सुनहरे दिन थे

जब तूने जन्म लिया था

नन्हे-नन्हे हाथों को अपनी

मेरी हथेली में छुपाया था

बड़ा ही सुखद पल था वह

जब मां का सुख पाया था

मातृत्व का पहला एहसास 

था जागा मन में


तेरी आंख खुलते ही

झट सीने से था चिपकाया

लगी रोने जब 

आंचल में तुझे छुपाया

बड़े ही मन्नत बाद 

सौगात को तेरी पाया

जैसे सूरज की पहली किरण ने

जिंदगी को हो जगमगाया


तेरी किलकारी से गूंजा था घर मेरा

चिड़िया जैसी चहकती बेटी

हमारे घर का अभिमान बेटी

आन, शान और मान बेटी

हमारे आंगन की रौनक बेटी

त्याग और समर्पण की मूरत बेटी

दो कुल को संभालती बेटी


कभी बेटी, कभी बहन, कभी मां

हर रूप में अपना फर्ज निभाती बेटी

फूलों की तरह खिलखिलाती बेटी

जिस घर जाए चार चांद लगाए बेटी

बेटी तो होती है मां की परछाई

फिर क्यों हर बेटी होती है पराई


✍️ रानी रागनी सिन्हा ( नालंदा, बिहार )

रविवार, मई 21, 2023

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन शब्द मंथन साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा रचनाकारों को नवीन रचनाएं लिखने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से ऑनलाइन शब्द मंथन साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें रचनाकारों को दस विषयों के विकल्प देकर उनमें से किन्हीं दो विषयों का चयन करके चयनित विषयों पर आधारित रचनाएं लिखने के लिए कहा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषयों पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में एक ओर जहां वरिष्ठ रचनाकारों ने अपनी विशिष्ट साहित्यिक शैली का प्रदर्शन किया तो दूसरी ओर ग्रुप से जुड़े नवीन रचनाकारों ने भी अपनी अनूठी भावनाओं और विचारों से ग्रुप का ध्यान आकर्षित किया। महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत शब्द अलंकार' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ग्रुप के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया और सम्मान पाने वाले सभी प्रतिभागी रचनाकारों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को ग्रुप द्वारा आयोजित होने वाले भिन्न-भिन्न ऑनलाइन कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके ग्रुप की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम कविता कोठारी, संगीता बहुगुणा, रंजीता अवस्थी, प्रेममनी बासिल पीटर, ज्योति चौपड़ा, सन्नू नेगी रचनाकारों के रहे।

शनिवार, मई 20, 2023

🍁 चाय पार्टी 🍁









आज के ज़माने में

मतलबी रिश्ते हैं...

जो दूसरे को पनपते

देख नहीं सकते हैं।

इस दूषित वातावरण में

आओ हम सब मिलते हैं...

मिल के हम सभी

आज चाय पार्टी करते हैं।


सोए हुए रिश्तों को जगाने की

ताकत है गर किसी में....

वो चाय ही है जो

प्यार भर देती है दिलों में।

तो आओ इस नफरत भरी दुनिया में

प्यार लुटाते हैं...

मिलते हैं दिल से और

अपने प्यारों को चाय पिलाते हैं।


सुना है चाय पार्टी में

बहुत ताकत होती है...

तभी तो ये चाय

सबके दिलों पे राज करती है।

भूल के सभी शिकवे-गिले

अपने रूठों को मनाते हैं...

घर में करते हैं

एक अच्छी सी चाय पार्टी ...

सोए हुए रिश्तों को

फिर से जगाते हैं।


✍️ रंजीता अवस्थी ( शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश )

शुक्रवार, मई 19, 2023

🍁 इसीलिए…. 🍁









किंचित खबरें हृदय पटल पर, 

रोज नई सी ही लगती है।

इसीलिए अखबार पुराना,

कभी-कभी मैं पढ़ लेती हूँ।।


जीवन के दुर्धर संघर्षों में, 

कब आ जाए मरुथल भी।

इसीलिए आंखों पर थोड़ा-थोड़ा,

सावन रख लेती हूँ।।


जज्बातों पर यहां उम्र की,

सलवट कब पड़ने पाती है।

इसीलिए मुमकिन याराना, 

अपनों के संग गढ़ लेती हूँ।।


सुना है कालिख हीरा बनती,

पाषाणों में वर्षों दबकर।

इसीलिए कुछ तम जीवन के,

रोज दबा कर रख लेती हूँ।।


बड़े-बड़े लक्ष्यों की मंजिल, 

जाने कब जीवन में आए।

इसीलिए छोटी ख्वाहिश पर,

जश्न मना कर जी लेती हूँ।।


कहते सूरत पर रहती है,

सीरत सदा सर्वदा भारी।

इसीलिए दर्पण के संग निज,

हस्ती को भी तक लेती हूँ।।


कहते सारा दर्द बता दो,

तो यह दुनिया हंस देती है।

इसीलिए सीने के कुछ-कुछ, 

जख्मों को मैं सी लेती हूँ।।


रोज सुबह ही नई चुनौती,

मुंह बाये दरवाजे होगी।

इसीलिए बीती बातों को,

रात दफन मैं कर लेती हूँ।।


✍️ संगीता बहुगुणा ( चमोली, उत्तराखंड )

🍁 ख्वाब मन-मस्तिष्क को करते उन्नत🍁









उत्साह, उमंग, आशाएं लेकर, देर रात जब हम सो जाते हैं।

तब ख्वाब, ख्वाबों की दुनिया में हमें कहीं दूर तक ले जाते हैं।।

दिनभर की सोच कभी हावी होती हैं ख्वाबों पर।

तो कभी ख्वाब परियों के देश में घूमने ले जाते हैं।।


कभी ख्वाब भरते है, मंजिलों की उड़ान।

कभी ख्वाब भी ख्वाबों को, आसान करते है।।

हकीकत में न सही ख्वाबों में,

इत्मीनान तब होता है

ख्वाब देश दुनिया का सफर भी आसान करते है।।


ख्वाब कभी डरावने, कभी सुहाने।

ख्वाब कभी अदभुत, कभी हकीकत।

ख्वाब कभी शरारत, कभी फजीहत।।

ख्वाब कभी खूबसूरत अहसास।

तो कभी मुस्कुराहट की वजह।।


ख्वाब कभी सारी सांसारिकता से परे।

ख्वाब कभी वास्तविकता के पक्षधर।।

ख्वाब कभी कोई नया उत्साह सा।

ख्वाब कभी तरुण, सुखद, शांत सफर।।


ख्वाब कोई अल्हड़, मनमानी जगह।

ख्वाब जहां किसी से न हो कोई डर।।

ख्वाब सिर्फ हमारा कोई सुंदर घर।

ख्वाब जो जीवन के ढेरो उलझनों से दूर।।


ख्वाब जहां से वापस लौटने का ना हो मन।

ख्वाब मेरी दोनो आंखो को देते है ताजगी।।

ख्वाब सुनहरे सुनहरे पलो का मंजर।

ख्वाब तुम्हारे मेरे दिल के बहुत करीब।

ख्वाब हमारे जीवन की खूबसूरत जरूरत।


ख्वाब जहां सिर्फ मैं और तुम हो।

ख्वाब जहां मैं और सिर्फ तुम्हारी यादें हो।।

ख्वाब जहां सिर्फ मेरे आंसू और मेरे समाधान।

ख्वाब जिससे दोनो आंखो को मिलती है राहत।

ख्वाब जहां होती है सिर्फ हमारी खुद की बादशाहत।।


ख्वाब कभी डरा देता फिर अचानक जगा देता है।

ख्वाब जो कभी धड़कने भी बढ़ा देता है।।

ख्वाब नींद से भी कभी उठा देता है।

ख्वाब कभी कभी खुद ही हंसा देता है।।


ख्वाब खुदा की एक रहमत।

ख्वाब इंसान की सच्ची जरूरत।।

ख्वाब तुम्हारे मेरे मिलन का स्थल।

ख्वाब परियों के देश की पहुंच।।

ख्वाब कोई जादुई छड़ी।

ख्वाब मन-मस्तिष्क को करते हैं उन्नत।।

 

✍️ प्रेममनी बासिल पीटर ( कोरबा, छत्तीसगढ़ )

🍁 धरती की व्यथा 🍁









झुलस रहा धरती का आँचल

            ताप सूर्य ने बरसाया।

पीपल पल्लव सूख रहा सब,

          तृण तृण है भरमाया।

गरज गरज कर बादल ने तो

           धरती को है हर्षाया।।

अब कुछ तो नीर बहा वारिद,

          धरती को क्यों तरसाया ?


बेबस धरती सोच रही बस

        क्या मैंने जग से पाया ?

पुष्प पत्रक, मूल सहित मेरा,

            मानुष ने मुझसे पाया।

वन कानन सब काटे मेरे,

               दूर हुआ मेरा साया।

तुम्हीं बताओ क्यों हे ! मानव,

            समझ नही तेरे आया।।

          

निजी स्वार्थ के खातिर मानव,

       तुमने तांडव दिखलाया।

ताल सरोवर सूख गए सब,

    पिघल हिमालय भी आया।

लहराती नदियों के जल में,

     अब सघन ठहराव है आया।

हरा भरा यह स्वरूप मेरा,

         बंजर सा अब बन आया।।


✍️ सन्नू नेगी ( चमोली, उत्तराखंड )

🍁 तू एक दुआ बन जा 🍁










तू बन हवा का वह झोंका,

जो शीतल कर दे तपते मन। 

एक मधुर मुस्कान,

लगाए दुखती रग पर मरहम।

खुशबू वह, 

जो करे सुवासित हर बोझिल परिवेश।

दो मीठे बोल, 

जो हर ले मन के सभी कलेश। 

हर सोच, हर बोल,

हर कर्म दुआ-सी हो।

जीवन हो ऐसा कि 

हर स्वास सार्थक हो।


✍️ कविता कोठारी ( कोलकाता, पश्चिम बंगाल )

गुरुवार, मई 18, 2023

🍁 गुरु महिमा 🍁









स्वागत करते गुरु को, स्वीकार इसे करलो।

क्या भेंट करें तुमको, भक्ति के सुमन लेलो।।


पल्लवित होता उपवन, मधुमास के आने पर।

सूरजमुखी खिल जाते, दिनकर के निकलने पर।

ऐसी शुभ बेला में, वंदन मेरा लेलो।।


प्यासा है पपीहा वो, बादल के लिए तरसे।

है नयन मेरे भगवन, दर्शन के लिए तरसे।

ज्ञानी गुरु दर्शन से, अंखियां पावन करलो।।


भंवरा गुणगान करें, बागों के खिलने से।

तनमन पुलकित सबका, गुरुदेव के आने से।

शिवसुख पाने को सब, भक्ति में रमण कर लो।।


हैं धन्य हुई नगरी, ऐसा अवसर आया।

सेवा भक्ति कर लो, पाकर गुरुवर छाया।

कहते हैं सभी बंधु, गुरुवर को नमन कर लो।।

ज्योतिर्मय हो जीवन, गुरुवर के दर्श कर लो।।


✍️ ज्योति चौपड़ा ( झालावाड़, राजस्थान )

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...