रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
गुरुवार, मार्च 31, 2022
💞 दिल की खुशनुमां महफिल 💞
💞 दिल की रौनक-ए-महफिल 💞
💞 दिल ने मेरे हौसले बढ़ाए हैं 💞
गमों की धूप के आगे खुशी के साए हैं।
दिल है खास मगर नादानियाँ करता है,
कदम-कदम पर कितनी ठोकरें खाए हैं।
जिन्हें चाहे उन्हें पाएं ऐसा नामुमकिन,
छोड़ यादों के भंवर सब गम भुलाएं हैं।
ऐसा करके किसी और को क्या फर्क,
अपने आप को मगर बहुत सताएं है।
दिल नफ़रत करनी नही सीख पाया,
जमाने की लपट से इसे कैसे बचाएं है।
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
💞 दिल से दिल का मिलन 💞
रमा की बड़ी-बड़ी आँखियों में ख्वाब थे बड़े-बड़े। आशादीप प्रदीप। अंधकार को चीरने उतावले। खूब पढूंगी, अपना मुकाम हासिल करूंगी। अपने माँ-बापू का ख्याल रखूंगी। अपने छोटे भाई-बहन का पूरा ध्यान रखूंगी। ढेरों अरमान थे दिल में। फलते-फूलते कभी गुब्बारों से फटाक फूट जाते। दिल की सजी सजायी बाग उजाड़-सी प्रतीत होती। पतझड़ के बाद बहार का मौसम लौट आएगा ही। मन ही मन सपनों का शहर सज जाता। उम्मीदों के दीप जल जाते। रोशनी का आगाज होता। दिल क्यों धड़कता हैं धक-धक ? मन ही मन पड़ोस में रहने वाले राणा से नाता जोड़ लिया था उसने। सीधा-साधा, सरल स्वभाव। मीठी बोली, विवेकी, विनयी राणा उसे बहुत पसंद था। उसकी तरह ही टूटी-फूटी झोंपड़ी में बसेरा करता। दिल का बड़ा नेक। मानवता का पुजारी। स्वच्छता अभियान में साफ सफाई करते दोनों की मुलाकात हुई थी। साथ-साथ काम करते न जाने कब प्रेम अंकुरित हुआ, पता ही न चला। राणा को देखते ही रमा के दिल की कली खिल जाती। उसकी छुअन से रोम-रोम खिल जाता। नयन तीर चलते। अधर खामोश रहते। मौन ही प्रेम की अभिव्यक्ति थी। केवल नजरों से नजर मिलती, शर्म से नजरे झुक जाती। प्यार, मोहब्बत क्या यही हैं ? धीरे-धीरे बात झुग्गी झोपड़ी में फैल गयी। दोनों की प्रेम कहानी की महक दूर-दूर तक फैली। रमा के बापू के दोस्त का लड़का बौखला गया। "रमा मेरी हैं, मेरी ही रहेगी। किसी और की वह हो ही नहीं सकती। हमारी बचपन में ही सगाई पक्की हो गयी थी।" रमा के माँ-बापू के पास आकर रिश्ते की बात पक्की कर ली उसने। रमा और राणा की मोहब्बत को जैसे किसी की नजर लग गयी। रोमियो टाइप रोनित उसे जरा भी न सुहाता। पान चबा चबाकर दिन भर थूकता रहता। "मैं राणा से ब्याह करूंगी।" "आपने वचन दिया होगा। मेरा जीवन हैं। जिसे प्यार करती हूँ, वही मेरा जीवनसाथी होगा।" दिल की आवाज को बुलंद साज मिल गया हमदर्द सखियों से। माँ-बापू को राजी कर रमा को राणा से प्रणय बन्धन में बंधवा दिया। दिल से दिल के मिलन से जीवन बाग गुलजार हो गया। अपनी प्रिय सहेलियों के संबल से रमा-राणा का दाम्पत्य जीवन सदा सुखमय, हितकारी रहा। जीवन की महफ़िल में किलकारियों का मधुरिम संगीत गूंजने लगा।
✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )
💞 ज़िंदगी दुश्वार करके चल दिए 💞
💞 दिल का रंग लाल क्यों ? 💞
बुधवार, मार्च 30, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन बेटी सौभाग्य साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
मंगलवार, मार्च 29, 2022
👰 बेटी ही जिंदगी 👰
👰 काश ! मेरी भी एक बेटी होती 👰
सोमवार, मार्च 28, 2022
👰 सौभाग्य लाती हैं बेटियां 👰
👰 रब से बिटिया जो मिल गयी... 👰
👰 ईश्वर की अनुपम कृति है बेटी 👰
रविवार, मार्च 27, 2022
👰 बेटी होती है विशेष 👰
👰 बेटियाँ 👰
👰 बेटी सृजन की वज़ह 👰
जब यूँ ही भर आयी होगी आँखे
तब ईश्वर ने बेटी को बनाया होगा
जब बनाया होगा थोड़ा सा विश्वास
थोड़ी सी आस, ढेर सारे जज्बात
तब ईश्वर ने बेटी को बनाया होगा
जब देना होगा मानव को कुछ खास
पुण्य कर्मो का फल, सौभाग्य और रत्न
तब ईश्वर ने बेटी को बनाया होगा
जब वृद्धावस्था की ओर होगा मानव
अकेलापन, असक्त शरीर और टूटामन
तब ईश्वर ने बेटी को बनाया होगा
जब खतरे में हुआ संसार का अस्तिव
प्रकृति में असंतुलन, स्वतंत्रता में भी बंधन
तब ईश्वर ने बेटी को बनाया होगा
जब बना होगा निश्छल, निस्वार्थ हृदय
रिश्तों का संबल, खुशियों का आधार
तब ईश्वर ने बेटी को बनाया होगा
✍️ रश्मि पोखरियाल 'मृदुलिका' ( देहरादून, उत्तराखंड )
शनिवार, मार्च 26, 2022
👰 बेटी तो बेटी होती है 👰
👰 बिटिया 👰
जाने कहां छिपी थी
अब तक ओ मेरी गौरैया
कब से ढूंढ रहे थे तुझको
तेरे पापा और मैया
आसमान से उतरी तू तो
मेरी सोन चिरैया
फुदक-फुदक कर आई कैसे
इस सूने आंगन में
बांध दिया है तूने सबको
एक नये बंधन में
तू लक्ष्मी बन आई घर में
तू ही दुर्गा मैया
नजर लगे ना तुझको लाडो
ले लूँ तेरी बलैया
गोदी में सबकी खेलें
छोटी सी मेरी गुड़िया
किस्मतवाले होते हैं वो
जिनके घर होती बिटिया
आजा तुझको लोरी सुना दूँ
नैनों में आ जाए तेरे निंदिया
शुक्रवार, मार्च 25, 2022
👰 जीवन की डोर बिटिया 👰
👰 बेटी को पाती 👰
तेरे हौसलों का बढ़ जाना
चाहतों के आसमां को नाप आना
जो मैं दरख़्त सी
फूट आना तू हरे पात सी
और घनी छांव हो जाना
मैं बही जो नदिया सी
बनना तू निर्मल धार
और संग-संग बह जाना
मैं हुई जो मृग सी
बनना तू कस्तूरी
और मुझे बौरा जाना
हो जाऊं जो मैं पर्वत
झर-झर के स्नेह फैलाना
अपनत्व भाव से
👰 बेटी सौभाग्य हमारा 👰
अपनेपन की महक,
मृदुल रेशम डोर,
प्रेम बंध, अल्हड़ भोर।
👰 बेटी से सौभाग्य 👰
बेटी से सौभाग्य जन्मे
रुनझुन से घर आंगन गूंजे
किलकारी से नानी का मन
मामा का मन खुशियों से नम
दादा ने लड्डू बटंवाये
बिटिया सोए भाग जगाए
दादी बोली भविष्य मजबूत दो
बिटिया के कुछ नाम कर दो
बेटी नही होती पराई
पापा ने मन की भावना बताई
माँ ने बिटिया गले लगाई
शिक्षण से सक्षम की बात कहाई
भाई बोला हंसने लड़ने की
इसको अब सब आजादी दो
बुआ बिटिया होने पर इतराई
कुटुंब देता रहा बधाई
क्यूंकि सबकी है सोच बदली
बेटी बन गई सशक्त अब असली।
✍️ रीना अग्रवाल ( बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश )
👰 बेटियां रहमत 👰
इस बात से हुई दुनिया सहमत
कुछ बेटी माँ सी कुछ बाप सी
रब की रहमत का हिसाब नही
रहमतें मिलेंगी किस रूप में
माँ बाप को तो बेटी स्वरूप में
बेटी खुशरंग छतनार चिनार हैं
दुख में तो बनती ठंड़ी फुहार हैं
जिस दिन ले जन्म घर शक्ति
तो उस घर की हो जाती दुर्गा भक्ति
पूर्व जन्म का प्रारब्ध बाप का
बेटी जन्म से खात्मा पाप का
बेटियां अब नही रही जहमत
यें तो बस खुदा की रहमत
नेमतों का हिसाब देना पड़ता
रहमतों को बस संजोकर है रखना
जिस घर जन्म ले रही हैं बेटियां
माया, सत्यभामा, वैदेही बेटियां
यही सरस्वती बन जुबां पर बैठे
अज्ञानी के पास बहुत कम ठहरे
दर्द पीड़ा सहभागी हैं सृष्टि सृजन
बेटी दुखी हों तो करती मौन गर्जन
माँ बन जाने पर बेटी साक्षात् भगवान है
बच्चें कैसे भी हो पर वह मां सबकी एक समान है
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
बुधवार, मार्च 23, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन उपहार बहार साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
शनिवार, मार्च 19, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन रंग उमंग साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी 'पुनीत सप्तरंगी रचनाकार' सम्मान से सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...