सावन का महीना आया
रक्षाबंधन का त्यौहार
साथ में लाया
रक्षाबंधन का त्यौहार
भाई-बहन के सौहार्द
और स्नेह का त्यौहार
नटखट, छोटा सा....
माँ का राज दुलारा मेरा प्यारा भाई
राखी के पावन पर्व पर
भेज रही हूँ तुझे राखी
अपनी भावना, शुभकामना
रेशम की नाजुक डोरी में समेट
अपना सारा स्नेह-प्यार
तुम तक भेज रही हूँ
कुछ शब्दों में समेट
याद है तुम्हें ......वह पल
जब बिन मतलब तुम
मुझे छेड़ा करते थे
मेरी प्यारी गुड़िया को छिपा
मुझे तंग बहुत करते थे
मैं भी कहां पीछे रहती
पापा से जाकर
डांट पड़वाया करती थी
अपनी बात मनवाने को
तुम्हारे आगे-पीछे घुमा करती थी
कैसे इसका फायदा उठा
नाच नचाया करते थे
अब बातें पुरानी हो गई
चलचित्र की भांति आंखों में घूमने लगी
अरे सुनो-सुनो.....हम दोनों की
सोच कितनी मिलती है
ऐसा कुछ तुमने भी तो
मुझे पत्र में लिख भेजा था
तुमने एक बात कही थी
जो दिल को छू गई
राखी का त्यौहार ना होता अगर
संबंध हमारा भी इतना कहां होता मधुर
अपनी-अपने जीवन में दोनों व्यस्त
राखी पर दोनों पुराने पलों को
याद कर हरदम रहते मस्त।।
✍️ रजनी वर्मा ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )