गुरुवार, अगस्त 31, 2023

🦚 रक्षाबंधन का त्यौहार 🦚









सावन का महीना आया 

रक्षाबंधन का त्यौहार 

साथ में लाया 

रक्षाबंधन का त्यौहार 

भाई-बहन के सौहार्द 

और स्नेह का त्यौहार


नटखट, छोटा सा....

माँ का राज दुलारा मेरा प्यारा भाई 

राखी के पावन पर्व पर 

भेज रही हूँ तुझे राखी

अपनी भावना, शुभकामना

रेशम की नाजुक डोरी में समेट

अपना सारा स्नेह-प्यार

तुम तक भेज रही हूँ

कुछ शब्दों में समेट


याद है तुम्हें ......वह पल

जब बिन मतलब तुम

मुझे छेड़ा करते थे 

मेरी प्यारी गुड़िया को छिपा

मुझे तंग बहुत करते थे

मैं भी कहां पीछे रहती

पापा से जाकर

डांट पड़वाया करती थी


अपनी बात मनवाने को

तुम्हारे आगे-पीछे घुमा करती थी 

कैसे इसका फायदा उठा

नाच नचाया करते थे

अब बातें पुरानी हो गई 

चलचित्र की भांति आंखों में घूमने लगी


अरे सुनो-सुनो.....हम दोनों की

सोच कितनी मिलती है 

ऐसा कुछ तुमने भी तो 

मुझे पत्र में लिख भेजा था

तुमने एक बात कही थी

जो दिल को छू गई

राखी का त्यौहार ना होता अगर 

संबंध हमारा भी इतना कहां होता मधुर

अपनी-अपने जीवन में दोनों व्यस्त

राखी पर दोनों पुराने पलों को

याद कर हरदम रहते मस्त।।


✍️ रजनी वर्मा ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

मंगलवार, अगस्त 29, 2023

👰 हे नारी 👰









जीवन से मृत्यु तक

अनगिनत कार्यों को तू साधती है

जीवनपर्यंत घर बाहर के अनेकों

मोर्चे बखूबी तू संभालती है

हे नारी फिर तू क्यों स्वयं को

इतना कमतर आंकती है।


बेटी, बहन, बहू, पत्नी बनकर

हर किरदार में तू ढल जाती है

अथाह समर्पण से तू दोनों

घरों को सजाती संवारती है

हे नारी फिर क्यों तू

अपने वजूद को नकारती है।


क्या तू जानती है ?

घोर अंधेरों में

अपने अंदर की रोशनी से 

तू प्रकाश बिखेर सकती है

विपदा के प्रत्येक क्षण में

अपने प्रयासों से तू पार पा सकती है

हे सबला फिर क्यों नही तू

अपने आत्मविश्वास को जगाती है

हे नारी फिर तू क्यों स्वयं को

इतना कमतर आंकती है।


सुन....तोड़ कर रख दे सारी वर्जनाओं को

बुलंद कर और अपनी गर्जनाओं को

आज इसी समय यह प्रण ले

इन बरसों पुरानी बेड़ियों को तोड़ दे।


घेरे भले तुझे समुद्र की अनंत गहराईयाँ

बुला रही तुझे आकाश की अनंत ऊचाईयाँ

चल समय की रेत पर छोड़ चल अपने पदचिन्ह..

अस्तित्व पर अपने न लगने दे कभी प्रश्नचिन्ह..

सृजन की देवी ऐसे मत बनकर रह पाषाण

हिदायतों के तयशुदा दायरों से बाहर

बुन अपने ख्वाबों की ताबीर।


✍️ शैली भागवत 'आस' ( इंदौर, मध्य प्रदेश )

💞 प्यार 💞



 





प्यार महज ढाई अक्षर का
एक शब्द नही हैं
अपितु, प्यार एक दिली भावना हैं
अंदरूनी खुशी हैं
कई भावनाओं का संगम हैं ये प्यार

इसमें खुशी हैं, गम हैं, हसी हैं
आंसू हैं, ममता हैं, गुस्सा हैं 
फिक्र हैं, जज्बात हैं
कुछ कही-अनकही सी बात हैं
प्यार दिल में समाया हुआ होता हैं
जो आंखों से झलकता हैं
प्यार में, जुबां जो बोल न पाए 
वो आंखों से बयां होता हैं

निराली ताकत हैं इस प्यार में
प्यार करना सरल हैं लेकिन 
प्यार को निभाना मुश्किल हैं
वास्तव में जो उम्र भर 
निस्वार्थ निभाया जाए
वही असली प्यार कहलाए
वही असली प्यार कहलाए।

✍️ करिश्मा नरेंद्र मल ( गढ़चिरौली, महाराष्ट्र )

सोमवार, अगस्त 28, 2023

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन प्रतिभा मंथन महोत्सव के प्रतिभागी सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा‌ प्रतिभाशाली कलाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ऑनलाइन 'प्रतिभा मंथन महोत्सव' का आयोजन किया गया। जिसमें सभी तरह के कला के जानकार या‌ कला में माहिर कलाकारों को अपनी कला विडियो रूप में लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का सुनहरा अवसर दिया गया। इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राज्यों के कलाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दी गई भिन्न-भिन्न कलाओं में से अपनी इच्छा से एक कला का चयन करके चयनित कला में एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रस्तुतियां देकर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में बेहतरीन कला प्रतिभा प्रदर्शित करने वाली प्रतिभाशाली शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत प्रतिभा रत्न' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ग्रुप के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने महोत्सव में प्रस्तुत की गई भिन्न-भिन्न कला प्रतिभाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर कलाकार शख्सियतों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया तथा प्रतिभागी कलाकार शख्सियतों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने ग्रुप द्वारा आयोजित होने वाले भिन्न-भिन्न ऑनलाइन‌ कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए प्रतिभाशाली लोगों को सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में बेहतरीन कला प्रतिभा प्रदर्शित करके ग्रुप की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम शैली भागवत 'आस', किरण सेठी, करिश्मा नरेंद्र मल के रहे।

सोमवार, अगस्त 21, 2023

💗 तेरी बातें 💗








तेरी बातें मुझको लुभाती है

जीने का अंदाज सिखाती हैं

अगर कोई परेशानी

जीवन में आ जाए तो

मुझको सही राह दिखाती है। 


तेरी यादें मुझको तड़पाती है

सावन में आग लगाती है

तेरी मुस्कराहट मेरे सारे गम भूलाती है

तेरी आँखों में मैने प्यार के समुंदर देखे हैं

उन समुंदर में डूब जाना चाहती हूँ 

तेरे लिए मेरी चाहत कभी कम नही होगी

उन चाहतों में डूब जाना चाहती हूँ।

 

तेरी बातें मुझको बहुत कुछ याद दिलाती है 

जिन को याद कर उन्हें दोहराना चाहती हूँ 

चाँद को देखकर मुझे तुम याद आते हो 

उस चांदनी में मैं डूब जाना चाहती हूँ 

तेरी बातें मुझको लुभाती है 

जीवन के कई रंग याद दिलाती हैं।


✍️ गरिमा ( लखनऊ, उत्तर प्रदेश )

🌴 मौन वृक्ष 🌴









मेरे घर के सामने
सड़क के उस ओर
खड़ा हरा-भरा वृक्ष
सांस लेते रहने की
जद्दोजहद में, मौन खड़ा है 
कल, परसों, जल्दी ही
निर्जीव होना है

चीं-चीं करती चिड़िया
आराम फरमाते पथिक
झूलती लताओं से
खेलते नन्हें बच्चे
सदियों से खड़ा
तूफानों के थपेड़े सहकर
दशकों से मजबूत खड़ा
पर अब अस्तित्वहीन होगा

हरियाली नोच
कंक्रीट जंगल तैयार होगा
बनेंगी गगनचुंबी इमारतें
प्रलोभन की आड़ में
दरकिनार होंगे
सरकारी नियम
बेबस वृक्ष को अनदेखा कर
मेज़ के नीचे से
सब सेटल हो गया है

कई संस्थाएं सर उठाएगी
पेड़ बचाओ, पेड़ लगाओ नारे
कुछ दिन खूब लगेंगे
फिर सब मौन होगा
बिल्डर सेटल करेगा
बुल्डोजर चलेगा
रहेंगी यादें हरे-भरे वृक्ष की
सांस लेने की अनुमति मांग
जो गिड़गिड़ाता रहा......।।

✍️ बबिता ओबराए ( कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश )

शुक्रवार, अगस्त 18, 2023

✳️ पूर्णमासी का चाँद ✳️









मैंने एक कविता 
लिखी है तुम्हारे लिए
छिपा रखा है उसे 
अपने तकिये तले
तुम दूर नभ में रहते हो 
कहीं फिर भी
की हैं तुमसे बहुत 
अनगिनत बातें कई
मेरी सारी कविताएँ 
तुम्हारे समीप 
समर्पण मुद्रा में हैं

क्या आसमान में कोई 
अपना है तुम्हारा 
जो मुझसे भी ज्यादा 
निहारता है तुम्हें 
प्रायः मेरी कविताएं
कहती हैं मुझसे
पूर्णिमा के बाद
तो चाँद घटने लगता है 
ठीक वैसे ही प्रेम पूर्ण 
होने पर समाप्त हो जाता है

हाँ ! पूर्ण और गतिहीन प्रेम 
हो जाता है समाप्त
पर मैंने अपने प्रेम को 
अपूर्ण और अस्थिर रखा है
तुम सदैव जीवित रहोगे 
मेरी रचनाओं में
पूर्णमासी के चाँद की तरह।

✍️ सीमा मोटवानी ( अयोध्या, उत्तर प्रदेश )

🏵️ एहसास 🏵️









एक मधुर एहसास

एक अनजानी प्यास

एक मीठी-सी चुभन

एक खुशनुमा आभास।


बेमुरव्वत ! हर पल

दस्तक देती है दिल पर मेरे...

पूछती हूँ - कौन हो तुम ?

तुम्हें पहले तो नही देखा…


मैं तो यहीं हूँ सदा से

शायद पहले किसी ने 

इतनी शिद्दत से जगाया नहीं...


✍️ कविता कोठारी ( कोलकाता, पश्चिम बंगाल )

🍁 तुम्हारा मौन 🍁









सखा ! कई दिन, महीनों, साल से

चुभती रहती है इक बात

है कौन सी खराबी मुझ में 

जो ले जाती तुमको

मौन के है पास

हूँ जैसी भी बस तुमको ढूंढू

कहती मेरी बरसती आंख

मेरी वाचालता तुम्हारा मौन 

चलो करूं मेरी नजर से स्पष्ट मौन को

शायद पहुंचे तुम तक मेरे ख्याल।


है मौन तपस्या, मौन है पीड़ा

मौन को मैं क्या जानूंगी

फिर भी कोशिश करती हूँ

कह पाऊ मैं अपनी बात

मौन है परमात्मा, मौन है विधान

मौन ही तो करता हमें

ईश्वर के सबसे पास

मौन धरो बुरी लगे जब कोई बात

मौन ही है हर रिश्ते का आधार।


किंतु ! अगर मौन ही सदा धरो

तो लगता है कहीं ना कहीं

गलतफ़हमीओं का अंबार

मौन रहने से होते हैं

रिश्ते भी खराब

और क्या कहूंगी

है मुझमे इतना ज्ञान कहां

मौन का मतलब

मैं क्या समझ सकूंगी 

है पीड़ा तुम्हारे हृदय में 

दूर कैसे मैं करूंगी

मौन तो तुमने धरा

सच कहो ! क्या कभी

मेरे मन का शोर है सुना ?


कैसे सुनते ! आखिर मौन रहकर 

मुझे सजा जो दे रहे हो

मैं मौन की भाषा नही जानती

इसके सिवा की मौन रहकर 

मैं तुम्हें या तुम मुझे खो रहे हो

है वाचालता इतनी

कि शायद कभी मौन रख ना सकूंगी

और विश्वास है इतना कि

हुई अगर जो मौन को समर्पित

तो वापस मैं भी लौट ना सकूंगी।


✍️ प्रतिभा सागर ( शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश )

गुरुवार, अगस्त 17, 2023

⛲ वर्षा ऋतु आई है ⛲









मौसम ने ली अंगड़ाई है

काली घटा छाई है

वर्षा ऋतु आई है।


काले काले बादलों का मेला आया

नन्ही-नन्ही बुंदिया पड़ने लगी

कोयल कूंह-कूंह गाए 

पपीहा पीहू पीहू बोले

मोर-मोरनी नाच दिखाएं 

प्रकृति में बहार आई है

काली घटा छाई है

वर्षा ऋतु आई है।


चलो री सखी झूला झूले

मौज मस्ती करने चलें

करके सोलह श्रृंगार 

कभी चूड़ी खनकाऊं

कभी पायल झनकाऊं

कभी खुद को रिझाऊं

कभी खुद इतराऊँ

हरी-हरी चुनरी पर 

बहार आई है

काली घटा छाई है 

वर्षा ऋतु आई है।


पहला झूला दादी मां के

आंगन में झूला

अमवा की डाली पर झूला

मम्मी पापा की बाहों में झूला

लंबी-लंबी पींगे थी

आसमान छूने की 

ना जाने क्यों आज 

बचपन की याद आई है

काली घटा छाई है

वर्षा ऋतु आई है।


✍️ रजनी वर्मा ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

बुधवार, अगस्त 16, 2023

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन साहित्य अलंकरण महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों में साहित्यिक रूचि उत्पन्न करने के उद्देश्य से ऑनलाइन साहित्य अलंकरण महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें रचनाकारों को दस अलग-अलग विषयों के विकल्प देकर उनमें से किन्हीं दो विषयों का चयन करके चयनित विषयों पर आधारित रचनाएं लिखने के लिए कहा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषयों पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में एक ओर जहां वरिष्ठ रचनाकारों ने अपनी विशिष्ट साहित्यिक शैली का प्रदर्शन किया तो दूसरी ओर ग्रुप से जुड़े नवीन रचनाकारों ने भी अपनी अनूठी भावनाओं और विचारों से ग्रुप का ध्यान आकर्षित किया। महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत साहित्य भूषण' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ग्रुप के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया और सम्मान पाने वाली सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को ग्रुप द्वारा आयोजित होने वाले भिन्न-भिन्न ऑनलाइन कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके ग्रुप की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम सीमा मोटवानी, प्रतिभा सागर, कविता कोठारी, रजनी वर्मा, बबिता ओबराए, गरिमा रचनाकारों के रहे।

रविवार, अगस्त 13, 2023

💞 दोस्ती का रिश्ता 💞









हर सुख दुख में जो साथ चले

वही सच्चा दोस्त होता है 

हर बात जो मान जाए‌ वो दोस्त होता है,

अगर हम रूठ जाए तो हमे मना लेता है 

हमारे हर दुख को अपनाकर हमे खुशी देता है

दोस्ती का रिश्ता बहुत गहरा होता है

हर रिश्ते से बड़ा रिश्ता दोस्ती का होता है।

 

गुलाब के फूल की तरह दोस्ती होती है

जो हर तरफ खुश्बू बिखेरती है 

दोस्ती में प्यार और तकरार दोनों होती है 

प्यार का दूसरा नाम दोस्ती है 

दोस्त हाथ थाम कर जिंदगी भर चलते है 

उन्हें ज़माने की परवाह नही होती

दोस्ती की‌ मजबूत डोर टूटती नही।


दोस्ती वफा है दोस्ती आशिकी है

दोस्ती के बिना जीवन वीरान है

दोस्ती साज है दोस्ती संगीत है 

दोस्ती गंगा सी पवित्र होती है  

दोस्ती के बिना जीवन अधूरा है

दोस्ती को मेरा मेरा शत-शत प्रणाम है।


✍️ गरिमा ( लखनऊ, उत्तर प्रदेश )

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...