रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
सोमवार, अगस्त 30, 2021
🏵️ मीरा के प्रभु कृष्ण 🏵️
🏵️ जन्माष्टमी का पावन पर्व 🏵️
🏵️ मनमोहक कान्हा 🏵️
🏵️ राधा-कृष्ण 🏵️
रविवार, अगस्त 29, 2021
🏵️ राधे-राधे 🏵️
🏵️ कृष्ण से लगन लगी 🏵️
🏵️ कान्हा प्यारा 🏵️
🏵️ देवकी नंदन 🏵️
🏵️ श्री कृष्ण जन्माष्टमी 🏵️
छः शिशु का वध किया कंस ने सातवां हुआ विलोप,
आठवें की बारी है जाने क्या होगा आगे उसका प्रकोप।
है बेचारी माता रोती वह दु:ख से है बेहाल,
शिशु जन्म की खुशियां कैसी विंहसे कंस सा काल।
रात अंधेरी कारी कजरारी मेघ बरसता गर्जन करे घन घोर,
दामिनी दमके क्षण क्षण होती जाये प्रकृति कठोर।
देवकी का दिल विह्वल करती पीड़ा लेती हिलोर,
कोमल लाल को कैसे बचाएं कंस का पाश कठोर।
प्रभु ने रची जो माया जगत में कौन समझ वो पाया,
प्रभु को सम्मुख पाकर मात-पिता का दिल हर्षाया।
भक्ति और ममता का संगम एक साथ हो आया,
प्रेम पगे स्वर में प्रभु ने जब मधुर वचन सुनाया।
ले जाएं गोकुल में मुझको नंद का लाल बनाएं,
नंद यशोदा बने कृष्ण के पालक आप महामाया को लाएं।
पल में खुली सब हथकड़ियां पहरेदार के नैनों में नींद समाई,
सब दरवाजे खोल पिता की राह आसान बनाई।
काली अंधियारी रात घनघोर घटा है छाई,
प्रभु की माया से नदियों में भी राह बनाई,
शेष नाग ने रक्षा करने को सिर पर छत्र सजाई।
वासुदेव, कृष्ण को ले माथे पर नंद गृह तक पहुंचाए,
रख यशोदा के पास कृष्ण, महामाया को गोद उठाये।
घन अंधियारी रात ने इस काम को आसान बनाया,
खुली नींद जब नंद-यशोदा की कृष्ण को सम्मुख पाया।
लगे बाजन गोकुल में बधाई नंद का लाला है आया,
कान्हा से लाल को पाकर यशोदा का दिल हर्षाया।
धन्य पिता नंद और माता यशोदा हुए कान्हा को पाकर
धन्य हुई वसुधा है सारी, गीत कृष्ण के गाकर।
✍️ निर्मला कर्ण ( राँची, झारखण्ड )
🏵️ गोकुल में पधारे माधव 🏵️
शनिवार, अगस्त 28, 2021
🏵️ नंदलाला, आ जाओ 🏵️
वृंदावन सारा आनंद विभोर,
हर्षित गोकुल, राधा हृद हिलोर।
रास रचाये संग रमैया कान्हा,
बंसी सुर सुन बावरी राधा।
मटकी फोड़े देखो माखनचोर,
वस्त्र चुराए नटखट नन्दकिशोर।
गोकुल में स्वर्ग सुख का उजियार,
श्री विष्णु ले आये थे कृष्णावतार।
चारों ओर आज मचा हैं उत्पात, शोर,
पाप मिटाने आओ करुणा सागर।
प्रेम रस, आनंद भरो मन की गागर,
दुष्टों का विनाश, पापियों का संहार।
हे मुरारी, मुरलीधर बजाओ बांसुरी,
सुमधुर धुन से जीवन में आये माधुरी।
छितराओ निर्मल प्रेम रस रिमझिम बौछार,
भीगा भीगा रहे हर दिल तृप्त प्रीत तुषार।
हे गिरिधर, गोपाल, जगत तारणहार,
श्री कृष्णा, दुःख हरने, आ जाओ, सुनो पुकार।
फन फैलाये बैठा नकाबपोश भ्रष्टाचार,
डंक मारने छुप छुप दुराचार।
दुष्प्रवृत्तियों का करने समूल विनाश,
बचाने भोले भाले जन मन की लाज।
बचाने नारी का शील, ले द्रोपदी चीर,
सुदर्शन चक्र से करो तेज प्रहार।
बेख़ौफ़ हैं आज दुशासन, कंस,
खूनी होली खेल रहे हैं नराधम।
खूंखार भेड़ियों की टोली अमानुष,
मानवता, सहृदयता पर लगा रहे कलंक।
अधर्मी सोच मिटाने, आनंद बरसाने,
धरा को स्वर्ग सा अनुपम बनाने, हे प्रभु,
निस्तेज मानवता का दीप जलाने,
इंसानियत का पैगाम देने,
स्वार्थवश रिश्तों में आया जो सूखापन,
आओ श्री हरि मुरलीधर, आ जाओ।
काली अंधियारी रात में एक बार,
दिव्य प्रकाश चमकारा फैला दो।
सूरज की रोशनी, चंदा की शीतलता,
महका दो फूलों सा कोमल मन।
तितलियों से रंग सु-रंग भर दो,
जीवन सजा दो, आओ कृष्ण मुरारी।
मटकी प्रेम माखन से भर दो,
स्नेह का माखन जगत को खिला दो।
महका दो, चहका दो मधुबन,
प्रेम रस भीगे हर हृदय कण-कण।
श्री कृष्णा, कृष्णा भजे सकल जन,
जगत को स्वर्ग-सा सुन्दर बना दो।
✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )
सोमवार, अगस्त 23, 2021
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ऑनलाइन रक्षाबंधन साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन "रक्षाबंधन साहित्यिक महोत्सव" का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'भाई-बहन का नाता' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने रक्षाबंधन पर आधारित अपनी बेहतरीन रचनाओं को प्रस्तुत कर भाई-बहन के अटूट स्नेह को प्रदर्शित किया। इस महोत्सव में संध्या शर्मा (मोहाली, पंजाब) और चंचल जैन (मुंबई, महाराष्ट्र) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत साहित्य स्नेही" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने सभी रचनाकारों को भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन की बधाई एवं शुभकामनाएं दी तथा महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन भी किया। उन्होंने कहा कि पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह इसी तरह आगे भी ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों के माध्यम से भारतीय सभ्यता-संस्कृति से जुड़े विभिन्न पर्वो को मनाता रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने समूह द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले ऑनलाइन "श्री कृष्ण जन्माष्टमी साहित्यिक महोत्सव" और शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले ऑनलाइन "शिक्षक दिवस साहित्यिक महोत्सव" में शामिल होने के लिए हिंदी रचनाकारों को सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम मीता लुनिवाल, प्रतिभा तिवारी, कुसुम अशोक सुराणा, चंचल जैन, डॉ. उमा सिंह बघेल, वाणी कर्ण, रामभरोस टोण्डे, डाॅ. ऋतु नागर, सुखमिला अग्रवाल 'भूमिजा', संध्या शर्मा, निर्मला कर्ण रचनाकारों के रहे।
रविवार, अगस्त 22, 2021
🌺 त्योहार रक्षाबंधन 🌺
श्रावण माह की पूर्णिमा को होती ये रस्म,
भाई-बहन की रक्षा की लेता है कसम।
प्यार मनुहार लड़ाई झगड़ो का रिश्ता निराला,
इसी तरह होता भाई-बहन का स्नेह प्रगाढ़ विशाला।
भाई के माथे पर कुमकुम का टीका,
जैसे सितारों के बीच सुंदर चाँद हो चमका।
भाई की कलाई में बंधी राखी रंगीली,
बहन का प्यार झलकाती मनमोहक सजीली।
आरती उतारती अपने भाई की बहन,
दे दो भाई मुझे मेरी रक्षा का वचन।
स्नेह रक्षा और प्यार का अनोखा बंधन,
खुशियों से भरा ये त्योहार रक्षाबंधन।
✍️ वाणी कर्ण ( काठमांडू, नेपाल )
🌺 राखी का पावन त्यौहार 🌺
🌺 राखी आई 🌺
राखी आई, खुशियाँ लाई।
फुले नही समाए बहन-भाई।
बहना ने रोली, राखी और मिठाई,
से थाली आज है सजाई।
बांधे भाई के हाथ में राखी,
लेती भाई से रक्षा का वादा।
राखी की लाज निभाना भैया,
बहन को कभी भूल ना जाना।
भाई देता बहन को वचन,
वादा करता भाई हर लूँगा दुख तेरे।
भाई बहन को प्यारा है,
बन्धन ये सबसे निराला है।
त्यौहार राखी का न्यारा है,
ये रिश्ता हर रिश्ते से प्यारा है।
✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )
🌺 एक अनोखा रिश्ता 🌺
पावन, पवित्र, निर्मल, निश्छल,
विधाता का अनुपम उपहार।
समग्र सृष्टि में नहीं है दूजा,
रिश्तों का संसार,
सुरक्षा कवच अटूट अनुपम,
भावुक उर का प्यार।
मायके आती जब प्यारी बहना,
भईया करें मनुहार,
झूठ मूट का लड़ना झगड़ना,
और मीठी सी तकरार।
जब-जब आता रक्षाबंधन,
राखी का त्योहार,
नेह भरी आंखों से बहना,
पल-पल करे इंतजार।
बहन-भाई की सलामती,
चाहे बारम्बार,
हरा-भरा हो मायके का अंगना,
हो खुशियों की बौछार।
अक्षत कुमकुम रोली मौली,
गूंथे शगुनों के हार,
लेती है सौ-सौ बलईंया,
देती नज़र उतार।
बहन-भाई का है ऐसा नाता,
देव भी हैं बलिहार,
अपनी कलाई में बंधवाने राखी,
लेतें हैं अवतार।
वो ले आते हैं अवतार,
है कैसा अनोखा प्यार....
🌺 पावन रक्षाबंधन 🌺
🌺 रक्षा सूत्र 🌺
🌺 रक्षाबंधन 🌺
भैया तुम जरूर आ जाना रक्षाबंधन में।
आरती सजा कर रखूंगी, मैं तेरे अभिनंदन में।
मेरे रेशम के ये दो धागे हैं, साझे दुख-सुख के,
जिसमें कृष्ण का वादा है, कृष्णेयी का पुनीत बंधन।।
🌺 तुम मेरे भाई से बढ़कर मेरे पिता भी हो 🌺
शनिवार, अगस्त 21, 2021
🌺 रक्षाबंधन 🌺
शुक्रवार, अगस्त 20, 2021
🌺 भाई-बहन 🌺
एक माता और एक पिता की,
हैं दोनों ही सन्तान।
बचपन में सँग खाते खेलते,
पढ़ते, हैं चढ़ते दोनों परवान।
बालपन का निश्छल स्नेह,
जाने कहाँ है छूट जाता।
जाने किस अँधियारे कोने से,
दुनियादारी आकर बस जाता।
मैं बैठी सपनों में भूली,
करुँ मैं किससे फरियाद।
मुझको शिद्दत से आ रही,
है आज मेरे भाई की याद।
वो भाई की बाहों का झूला,
वो रूठना मचलना फिर।
बहुत मनाने पर मान जाना,
फिर किसकी थी गलती।
किसने किया किसे आहत,
सब पल भर में भूल जाना।
ना कोई अहम ना दुनियादारी,
नहीं रहता किसी का भाई-भाई ;
और भाई-बहन के बीच स्थान।
ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती गई,
जिन्दगी दिल के बदले;
दिमाग के अधीन होती गई।
ऊँच-नीच सामाजिक स्तर,
सम्बन्ध के बीच आने लगे।
और रिश्ते की गर्माहट जाने,
कहाँ मुँह छिपाने लगे।
कब किसने पत्र लिखा,
और कब किया फोन ये;
रिकॉर्ड भी रखे जाने लगे।
पशोपेश में हूँ क्या करुँ मैं,
कैसे दिलाऊँ भाई को;
बचपन की स्नेहिल याद।
किसके द्वारा भेजूँ सन्देश,
करुं कहाँ अपनी फरियाद।
कैसे बताऊं मैं उन्हें मुझे,
आती है अपने भाई की याद।
मेरे दिल के अन्दर अब भी,
सिंचित हैं ये स्नेहिल रिश्ते।
दुनियादारी निभाकर भी मै,
सहेजती रही कोमल किस्से।
मैं कुछ भी नहीं भूली,
ईश्वर तुम पहुँचा दो।
मेरे भाई तक मेरी फरियाद,
कह दो मेरे माँ जाई से।
मैं अब भी जुड़ी हूँ अपने,
किल्लोल करते बचपन से।
राखी के रेशमी मोहक तार से,
मानभरे स्वप्निल मनुहार से।
बड़ी शिद्दत से आती है आज,
मुझे मेरे भाई की याद।
मुझे मेरे भाई की याद।।
✍️ निर्मला कर्ण ( राँची, झारखण्ड )
🌺 रिश्तों का मीठा बंधन 🌺
सोमवार, अगस्त 16, 2021
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन स्वतंत्रता दिवस साहित्यिक महोत्सव में शानदार प्रस्तुतियां देने वाले प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...