वो जमाना कुछ अलग सा था,
जब दूरदर्शन हम सबके लिए,
बहुत खास हुआ करता था।
तब चौबीस घंटे कार्यक्रम नही आते थे।
हमें अपने कार्यक्रम देखने के लिए,
घंटों और दिनों का इंतजार करना पड़ता था।
पर उन दिनों का लुत्फ अलग हुआ करता था।
शनिवार और रविवार का तो,
बहुत ही बेसब्री से इंतजार होता था।
रामायण, महाभारत, चंद्रकांता जैसे,
शिक्षाप्रद सीरियलों का दबदबा था।
वो सुबह-सवेरे रंगोली रंगों से भरपूर थी।
मोगली, शक्तिमान, कच्ची धूप जैसे,
सीरियल बच्चों की जान थे।
दूरदर्शन पर जो न्यूज़ चलती थी,
उनकी तो बात ही निराली थी।
कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रम भी,
तब खास हुआ करते थे।
तब घर में एक ही टी०वी० हुआ करता था।
पूरा परिवार एक साथ मिलजुल कर,
कार्यक्रमों का आनंद लिया करता था।
दूरदर्शन का एंटीना ठीक करने के लिए,
हर रोज छत पर दौड़ा करते थे।
सच कहूं तो दूरदर्शन,
हम सबके लिए बहुत ही खास था,
वो ज़माना भी कुछ अलग सा था।
✍️ डॉ० ऋतु नागर ( मुंबई, महाराष्ट्र )
सुंदर रचना
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