शिक्षा दे आत्मविश्वास जगा कर,
मुझको, मुझसे ही मिलवाया।
हैं प्रभु जीवन का सार,
इसका मुझे भान कराया।
सुख और दुःख जीवन का हिस्सा,
हंसकर जीना है सिखाया।
प्रथम गुरु माता-पिता एवं गुरु ज्ञान ने,
मुझे एक नेक इंसान बनाया।
कभी सराहा कभी दंडित कर,
ज्ञान का पाठ है पढ़ाया।
सही-गलत के बीच का भेद,
गुरु ने ही ज्ञात कराया।
देश, समाज, परिवार के हित का,
मुझको भान कराया।
रुकावट उसे कभी डरो नही,
कर हौसले बुलंद जीवन में आगे बढ़ना सिखाया।
आज याद उन्हें मधुर पलों को,
जीवन पथ पर मैं चलती जाती हूँ,
स्वयं शिक्षिका बनकर,
बच्चों को नई राह दिखलाती हूँ।
शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर,
हर शिक्षक को मैं नमन करती हूँ।
✍️ डॉ० ऋतु नागर ( मुंबई, महाराष्ट्र )
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