मंगलवार, जून 06, 2023

⛲ वक्त से वार्तालाप ⛲









आज इन तेज हवाओं में

बीतते हुए समय का

ख्याल आ रहा है 

मुझे याद आ रहा है जब मैं

अपने मासूम सम्मोहन में 

बांधना चाहती थी समय को

अपने छोटे-छोटे हाथों में 

समेट लेना चाहती थी ये समय


लेकिन मेरे

बाल सुलभ मन की

अठखेलियों को अनदेखा करके

आगे निकल गया समय

पर..मैंने भी हार नही मानी 

छोड़ दिया बचपन

और वक्त को

पकड़ने की रफ्तार में 

प्रवेश कर गई यौवन में

फिर से सम्मोहन के

उसी मोहपाश में 

बांधना चाहती थी समय को 


अरे ------ ये क्या ?

समय तू फिर से आगे निकल गया 

लेकिन कोई बात नही

तू भाग सकता है आगे और आगे

क्योंकि तुम्हारे पास

छोड़ने को रिश्ते नही हैं

तू नही बन सकता 

बेटी, बहन, पत्नी

और ना ही माँ

पर मैं बन सकती हूँ


आज मैं एक माँ हूँ

और मैं फिर से जी रही हूँ

अपना बचपन

फिर दोहराऊंगी अपना यौवन

पर तू भागता रहेगा 

हर किसी से आगे 

और निकलता रहेगा 

व्यर्थ अकारण।।


✍️ अमिता अनुत्तरा ( जोधपुर, राजस्थान )

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