रिश्ते जब चहकते हैं आत्मीयता से,
दिल का बाग खिलता, सजता उपवन।
महक महक जाता हैं घर आंगन खुशी से,
गुलजार हो जाता हैं जीवन गुलशन।
संस्कारों की डोर से गूंथे रखो माला,
एक एक माणिक मोती, बेशकीमती।
जतन करो स्नेह, अपनापन, समर्पण भावना,
भर भर पाओगे आशीष, शुभ मंगल कामना।
बड़ों का आदर सम्मान, सेवा, शुश्रुषा, परवाह,
दुआएं, शुभकामनाएं, मिलेगा प्यार, दुलार बेपनाह।
रिश्तों में प्रेमरस नमीं, स्नेह की उर्मि हो,
स्नेह-डोर से बंधे रहे, प्यार, मोहब्बत सिंचित जमीं हो।
मिलजुल के रहे हमेशा, एक दूजे का थामे हाथ,
मुश्किल की घड़ी आये गर, छोडो न कभी साथ।
परिवार में हो प्रेम, सद्भाव, समर्पण, अपनत्व,
महकता रहें जीवन, बना रहे रिश्तों का महत्व।
✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )
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