बुधवार, जुलाई 14, 2021

( ** मेघमाला ** )

घिर आये कारे मेघ चहुँ ओर अंधकार

बरसी बूंदे तृप्त हुआ संसार


   मेघो का गर्जन और चमकते बिजली के तार

   शांत से जीवन मे जैसे बज उठे हों सितार

      

उल्लसित वर्षा ऋतु प्रकृति ने किया श्रृंगार

  झूम उठे पेड़ पौधे और चलने लगी बयार

    

    भरे नदी नाले बहने लगा पानी धार

     सृष्टि जैसे जी उठी पीकर अमृतधार


   नाचते मोर सभी प्राणियों में जैसे नव जीवन संचार

    चहक उठे पशु पक्षी पाकर प्रकृति का प्यार


        चहुँ ओर खुशियां बज उठी झनकार

        जल ही जीवन कहती रही प्रकृति एकाकार

                                  ✍️ वाणी कर्ण‌‌‌ ( काठमांडू, नेपाल )


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