बुधवार, जुलाई 14, 2021

( ** उमड़ घुमड़ कर आये बादल ** )

उमड़ घुमड़ कर आये बादल,

बरसे झमाझम अमृत जल।


आयी आयी रिमझिम बरसात,

खुशियों की लायी सौगात,

चमचम चमचम बिजुरिया चमकी,

छम छम आयी बूंदों की बारात।


ओढ़ धानी चुनर धरा बलखाये,,

फूल, पत्तियां, जीवन हर्षाये,

उल्हसित प्रकृति का कणकण,

महकाती जीवन पवन लहराये।


कलियाँ मुस्कुरायी, फूल इतराये,

तितलियां रंग रंगीली इठलाये,

बहार पुलकित, झूमे मौसम,

भंवरे प्रेम रस भीगे गीत सुनाये।


थिरक थिरक नृत्य करे मयूर

आनंदित हो पंछी गाये गीत मधुर

रंग बिरंगे फूलों की फुलकारी 

प्रकृति ने किया हो जैसे श्रृंगार


भीगा तन मन,चहके उमंग,

बारिश की बूंदे जगाये नव तरंग,

दिल से दिल करे प्रेम इजहार,

प्रेमी युगल हर्षित खिले नवरंग।


आनंद सुख ले आयी बरसात,

तृप्त धरा, मनहर जलप्रपात,

मखमली छटाएं बिखरी चहुँ ओर,

आयी किरणों संग नवल प्रभात।


आयी किरणों संग नवल प्रभात।

उमड़ घुमड़ कर आये बादल,

बरसे झमाझम अमृत जल।

              ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )



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